किडनी कब फेल होती है?
किडनी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती है। ये विषाक्त पदार्थों को ब्लैडर में भेजती है, जहां वे यूरिन के जरिए शरीर से बाहर निकल जाते हैं, लेकिन जब किडनी फेल हो जाती है, तो ये विषाक्त पदार्थों को सही ढंग से खून से फिल्टर नहीं कर पाती और शरीर में विषाक्त पदार्थ भर जाते हैं। ऐसे में जब किडनी फेल हो सकती है, लेकिन सवाल ये आता है कि किडनी कब फेल होती है? तो चलिए जानते हैं -
किडनी फेल होने के कारण -
वैसे तो किडनी फेल होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं -
- 1) एलर्जी रिएक्शन
- 2) दवाएं लेना
- 3) लिवर फेल हो जाना
- 4) दिल से जुड़ी बीमारियां
- 5) ब्लड प्रेशर का बढ़ना
- 6) यूरिन कम हो जाना
- 7) क्रोनिक किडनी डिजीज
किडनी फेल होने के लक्षण -
किडनी फेल होना तब शुरू होती है, जब शरीर में इस तरह के संकेत दिखने लगते हैं। आइए, वो संकेत जानते हैं -
- 1) सीने में दर्द होना
- 2) बहुत ज्यादा थकान होना
- 3) यूरिन कम हो जाना
- 4) मिचली होना
- 5) पैरों या एड़ियों में सूजन आना
किडनी फेल होने के स्टेज -
किडनी फेल होने के 5 चरण माने जाते हैं।
पहला चरण - इस स्टेज पर लक्षण बहुत कम महसूस होते हैं। इसमें आप संतुलित आहार, हेल्दी लाइफस्टाइल और वजन को कंट्रोल करके किडनी को ठीक रख सकते हैं। अगर आपको डायबिटीज है, तो अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखें।
दूसरा चरण - इस स्टेज पर यूरिन में प्रोटीन या फिर किसी तरह का फिजिकल डैमेज साफ पता चल सकता है। इस स्टेज पर हेल्दी लाइफस्टाइल काम आ सकता है, लेकिन लापरवाही करने से दिल से जुड़ी बीमारियां, ब्लड डिसऑर्डर, इंफ्लेमेशन हो सकता है।
तीसरा चरण - इस स्टेज पर किडनी ठीक से काम करना बंद कर देती है, जो ब्लड टेस्ट के जरिए पता लगाया जा सकता है। इसमें हाथ-पैरों में सूजन, पीठ दर्द, यूरिन के रंग में बदलाव जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।
चौथा चरण - इस स्टेज पर किडनी की बीमारी गंभीर होने लगती है। चौथे चरण में किडनी ठीक से काम करना बंद कर देती है। इसमें शरीर में एनीमिया, बीपी बढ़ने, हड्डियों के रोग से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं।
पांचवां चरण - इस स्टेज पर आकर किडनी फेल हो जाती है। इसमें उल्टी, मतली, सांस लेने में परेशानी, स्किन पर खुजली जैसी कई समस्याएं होने लगती हैं। इस चरण में किडनी फंक्शन करना बंद कर देती है।
तो जैसा कि आपने जाना कि किडनी कब फेल होती है? ऐसे में अगर आपको भी किडनी फेलियर जैसा महसूस हो रहा है, तो आप भी तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें और इलाज कराएं।
अगर आपको भी किडनी फेलियर या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या आ रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में करवा सकते हैं, जहां साल 1937 से किडनी रोगियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जा रहा है और जिसे अब डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस का आयुर्वेदिक इलाज या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज कर रहा है।