क्रिएटिनिन के 5 आयुर्वेदिक उपचार
शरीर को स्वस्थ बनाए रखने और सही तरीके से काम करने के लिए सभी अंगों का सही से काम करना जरूरी होता है। शरीर में कुछ ऐसे तत्व भी होते हैं, जिनका स्तर बढ़ने से शरीर में कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। बात किडनी की करें, तो किडनी खून से क्रिएटिनिन को फिल्टर करने का काम करती है, जिसके बाद ये यूरिन के साथ बाहर निकला जाता है। ऐसे ही क्रिएटिनिन होता है, जिसका संतुलित होना सामान्य बात है, लेकिन इसके बढ़ने से शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। चलिए क्रिएटिनिन के 5 आयुर्वेदिक उपचार जान लेते हैं, जिससे इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
क्रिएटिनिन बढ़ने के कारण
- 1) डिहाइड्रेशन
- 2) ज्यादा एक्सरसाइज करना
- 3) डाइट में पका हुआ मीट खाना
- 4) किडनी सही से काम न करना
- 5) सोडियम का ज्यादा मात्रा में सेवन करना
- 6) थायरॉइड ग्लैंड में गड़बड़ होना
- 7) दवाओं का सेवन करना
- 8) ज्यादा मात्रा में प्रोटीन का सेवन करना
हाई क्रिएटिनिन के नुकसान
- 1) मतली और उल्टी होना
- 2) पेशाब से जुड़ी समस्याएं बढ़ना
- 3) मांसपेशियों में ऐंठन होना
- 4) ब्लड में इंफेक्शन होना
- 5) हाई ब्लड प्रेशर
- 6) सीने में दर्द बढ़ना
- 7) शरीर में सूजन आना
- 8) किडनी से जुड़ी समस्याएं
हाई क्रिएटिनिन के लक्षण
- 1) सांस लेने में दिक्कत होना
- 2) ज्यादा थकान महसूस होना
- 3) अनियमित हार्ट रेट
- 4) मांसपेशियों में दर्द होना
क्रिएटिनिन कम करने की आयुर्वेदिक औषधि
1) दालचीनी - दालचीनी को प्राकृतिक मूत्रवर्धक माना जाता है। इसका सेवन करने से किडनी की फिल्ट्रेशन क्षमता में सुधार हो सकता है। दालचीनी खाने से क्रिएटिनिन लेवल में सुधार किया जा सकता है।
2) सैल्विया - सैल्विया एक तरह की जड़ी-बूटी है जो शरीर के बढ़े हुए क्रिएटिनिन लेवल को कम करने में मदद कर सकती हैं। सैल्विया का सेवन करने से ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट बढ़ने लगता है, जिससे क्रिएटिनिन को फिल्टर करने में मदद मिलती है। इसमें लिथेस्पर्मेट-बी नाम का तत्व पाया जाता है, जिससे क्रिएटिनिन को बाहर निकालने में मदद मिल सकती है।
3) आंवले का जूस - आंवले में विटामिन-सी पाया जाता है। इससे न सिर्फ ब्लड शुगर कंट्रोल होता है, बल्कि क्रिएटिनिन को कंट्रोल करने में भी बहुत मदद मिल सकती है।
4) सिंहपर्णी की जड़ - सिंहपर्णी की जड़ को डेंडेलियन रूट भी कहा जाता है। इसे प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में जाना जाता है। सिंहपर्णी की जड़ का इस्तेमाल करने से क्रिएटिनिन के बढ़ते हुए लेवल से छुटकारा पाया जा सकता है। सिंहपर्णी की चाय को हफ्ते में दो से तीन बार पी सकते हैं।
5) बिच्छू बूटी - बिच्छू बूटी को नेट्ल लीफ भी कहा जाता है। इसका सेवन करने से क्रिएटिनिन के लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। बिच्छू बूटी को चाय या सप्लिमेंट के रूप में लिया जा सकता है।
तो जैसा कि आपने जाना कि क्रिएटिनिन कम करने की आयुर्वेदिक दवा क्या है। ऐसे में इन उपायों को अपनाने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
अगर आपको भी किडनी श्रिंकेज रोग या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में आकर करवा सकते हैं। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे किडनी को बिना डायलिसिस के ही ठीक किया जा सकता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस का आयुर्वेदिक इलाज या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज कर रहा है।