पार्किंसंस रोग का आयुर्वेदिक उपचार
पार्किंसन रोग एक दिमागी बीमारी है, जो मानसिक स्वास्थ्य, नींद, दर्द आदि से जुड़ी हुई होती है। ये रोग जैसे-जैसे बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे स्वास्थ्य भी बिगड़ने लगता है। बता दें कि ये समस्या ज्यादातर 40 साल की उम्र के बाद के लोगों में देखने को मिलती है, लेकिन अगर आपको ये बीमारी कम उम्र में महसूस हो रही है, तो ये चिंता का विषय हो सकती है। हालांकि परेशान होने की बात नहीं है, क्योंकि पार्किंसन रोग का आयुर्वेदिक उपचार से इस पर काबू पाया जा सकता है। तो आइए, पहले इसके कारण जान लेते हैं। उसके बाद इसका उपचार जानेंगे -
पार्किंसन रोग के कारण
- जेनेटिकल
- प्राकृतिक कारण
- ज्यादा दवाइयां लेना
- सेरेब्रो वैस्कुलर रोग
- अन्य दिमागी स्थिति
पार्किंसन रोग के लक्षण
- मांसपेशियों में अकड़न
- हाथ, पैर, सिर में कंपन होना
- डिप्रेशन
- चाबने, निगलने और बोलने में दिक्कत
- कब्ज
- स्किन प्रॉब्लम
- पेशाब से जुड़ी समस्या
पार्किंसन रोग का आयुर्वेदिक उपचार
1) ब्राह्मी - ब्राह्मी को संज्ञानात्मक-बढ़ाने वाले गुणों के लिए जानी जाती है। ये जड़ी-बूटी आपकी याद्दाश्त और संज्ञानात्मक कार्य में सुधार कर सकता है। इसका सेवन करने से पार्किंसन रोग वाले लोगों को लाभ पहुंचाती है।
2) हल्दी - हल्दी में करक्यूमिन नाम के कंपाउंड्स होते हैं, जो अपने एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-ऑक्सिडेंट गुणों के लिए जाने जाते हैं। ये दिमाग की कोशिकाओं को डैमेज होने से बचाती है और पार्किंसन रोग से जुड़ी सूजन को कम करने में भी मदद कर सकता है।
3) अश्वगंधा - अश्वगंधा एक एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी है। ये तनाव को कम करने के लिए जानी जाती है। इतना ही नहीं ये आपकी घबराहट और तनाव को भी कम कर सकती है, जो पार्किंसन रोग से जुड़े हुए होते हैं। इसके साथ ही अश्वगंधा में मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी प्रभाव आपके मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार कर सकता है।
4) शंखपुष्पी - शंखपुष्पी का इस्तेमाल आयुर्वेद में किया जाता है। इसका सेवन करने से दिमागी कार्य, थकान कम करने और याद्दाश्त को तेज करने में मदद मिलती है। इससे पार्किंसन के मरीजों को बहुत लाभ मिल सकता है।
5) गुग्गुल - गुग्गुल में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। इससे नर्वस सिस्टम में हो रही सूजन कम करने में मदद मिल सकती है और ये पार्किंसन के रोगियों में दर्द और अकड़न को भी कम कर सकता है।
जैसा कि आपने जाना कि पार्किंसन रोग का आयुर्वेदिक उपचार क्या है? ऐसे में आप भी इन उपायों को अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें, क्योंकि डॉक्टर ही आपकी रिपोर्ट्स देखकर बेहतर तरीके से बता सकते हैं कि आपके लिए ये उपाय कारगर साबित होंगे या नहीं।
अगर आपको भी इस रोग से जुड़ी किसी भी तरह की दिक्कत महसूस हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। यहां पर सन् 1937 से किडनी रोगियों का इलाज किया जा रहा है और वर्तमान में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत ने न सिर्फ पूरे भारत में, बल्कि पूरे विश्व में किडनी की बीमारी से जूझ रहे पीड़ितों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है