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पार्किंसन के आयुर्वेदिक उपचार

पार्किंसन के लिए आयुर्वेदिक उपचार: प्राकृतिक तरीकों से लक्षणों में सुधार और जीवनशैली में बदलाव कर बेहतर जीवन जीने के लिए आयुर्वेदिक उपाय।
By Dr. Puneet Dhawan | Published: October 1, 2024

पार्किंसन एक दिमाग से जुड़ी समस्या है, जिसकी वजह से कंपन, अकड़न तथा संतुलन में कठिनाई जैसी समस्या आने लगती है। इस रोग के बढ़ने के साथ-साथ इसके लक्षण भी बढ़ने लगते हैं। इससे मानसिक बीमारियों के साथ-साथ नींद की समस्या, याददाश्त में दिक्कत, थकान जैसी परेशानियां होने लगती हैं, लेकिन पार्किंसन के आयुर्वेदिक उपचार आजमाकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

पार्किंसन रोग के लक्षण

  • 1) पैर, जबड़े, हाथ आदि में कंपन होना
  • 2) संतुलन में कमी आना
  • 3) मांसपेशियों में अकड़न होना
  • 4) थकान और कमजोरी
  • 5) अवसाद
  • 6) धीमी गति से चलना
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पार्किंसन के कारण

  • 1) उम्र का बढ़ना
  • 2) ज्यादा दवाइयां लेना
  • 3) संक्रमण होना
  • 4) शरीर में विषाक्त पदार्थ बढ़ना
  • 5) आनुवांशिक परिवर्तन होना

पार्किंसन रोग उपचार

1) लहसुन - लहसुन में एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं। इसका सेवन करने से ऑक्सिडेटिव डैमेज से छुटकारा मिलता है। लहसुन के पेस्ट में सेंधा नमक मिलाकर लेने से पार्किंसन की बीमारी में बहुत आराम मिल सकता है।

2) अश्वगंधा - अश्वगंधा एक एडाप्टोजेनिक जड़ी-बूटी मानी जाती है। इसका सेवन करने से तनाव को कम किया जा सकता है। ये घबराहट को कम कर सकता है। अश्वगंधा में में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को सुधार कर सकता है। इससे पार्किंसन रोग से छुटकारा मिल सकता है।

3) ब्राह्मी - ब्राह्मी जड़ी-बूटी में पार्किंसन रोग से मुक्ति दिलाने वाले गुण मौजूद होते हैं। इस जड़ी-बूटी का सेवन करने से याद्दाश्त बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इससे दिमाग को शांत करने में मदद मिलती है और डर, घबराहट और स्ट्रेस जैसी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। इसका सेवन करने से पार्किंसन रोग में सुधार करने में मदद मिल सकती है।

4) शंखपुष्पी - शंखपुष्पी जैसी जड़ी-बूटी का सेवन करने से न्यूरोन्स का पुर्न:जन्म संभव हो सकता है और इससे किसी भी डैमेज को ठीक करने में मदद मिल सकती है।

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5) योग - योग करने से न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। योग से न सिर्फ बॉडी बैलेंस होती है, बल्कि उसमें लचीलापन भी आता है। पार्किंसन रोग के दौरान योग करने से शरीर पर नियंत्रण, लचीलापन बढ़ाने और मूवमेंट करने में आसानी होती है। इससे मूड भी सही रहता है और नींद भी अच्छी आती है।

तो जैसा कि आपने जाना कि पार्किंसन रोग की दवाएं क्या होती हैं। ऐसे में इन दवाओं का सेवन करने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि डॉक्टर आपको बेहतर तरीके से बता सकते हैं कि आपके लिए ये फायदेमंद है या नहीं।

अगर आपको भी पार्किंसन या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में आकर करवा सकते हैं। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे किडनी को बिना डायलिसिस के ही ठीक किया जा सकता है। कर्मा आयुर्वेदा में किडनी डायलिसिस का आयुर्वेदिक उपचार या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार कर रहा है।