पीसीओडी/पीसीओएस का प्राकृतिक इलाज – PCOD/PCOS Ka Prakritik Ilaaj

पीसीओडी/पीसीओएस की समस्या; महिलाओं से जुड़ी आम बीमारी – PCOD/PCOS ki samasya; mahilaon se judi aam bimari

पीसीओडी/पीसीओएस पॉलीसिस्टिक अंडाशय की समस्या है, जो हार्मोन का बैलन्स बिगड़ने से होती है। इस समस्या में महिलाओं के अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं, जिससे पीरियड्स रेगुलर नहीं रहते, बॉडी पर ज़्यादा बाल उग सकते हैं, मुंहासे हो सकते हैं, और प्रेग्नन्सी में परेशानी आ सकती है। इसके कारण टाइप 2 डायबिटीज़ और दिल के रोग का खतरा भी बढ़ सकता है। ऐसे में पीसीओडी/पीसीओएस का प्राकृतिक इलाज करना बेहतर चुनाव होता है क्योंकि अंग्रेज़ी दवाओं के अक्सर साइड इफेक्ट हो सकते हैं। लेकिन, पहले इस समस्या से जुड़ी आम जानकारियाँ लेनी चाहिए जो नीचे दी गई हैं।

पीसीओडी/पीसीओएस के कारण – PCOD/PCOS ke kaaran

  • हार्मोन का बैलन्स बिगड़ना: महिलाओं के शरीर में एण्ड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर बढ़ना।
  • इंसुलिन रेजिस्टेंस: शरीर में इंसुलिन का लेवल बहुत ज़्यादा होने से एण्ड्रोजन का उत्पादन बढ़ जाता है।
  • जनेटिक कारण: अगर परिवार में किसी को पीसीओडी की समस्या रही है, तो आपको भी इसका खतरा ज़्यादा होता है।
  • सूजन: शरीर में हल्की सूजन या ऑटोइम्यून बीमारियाँ भी एंड्रोजन का लेवल बढ़ा सकती हैं।
  • खराब खान-पान: फास्ट फूड, ज़्यादा शुगर और प्रोसेस्ड फूड का सेवन।
  • व्यायाम की कमी: फिज़िकल ऐक्टिविटी न करने से वजन बढ़ सकता है और हार्मोन का बैलन्स बिगड़ सकता है।
  • स्ट्रेस
  • रूटीन का बिगड़ना और नींद की कमी

पीसीओडी/पीसीओएस का प्राकृतिक इलाज – PCOD/PCOS ka prakritik ilaaj

  • सही खानपान अपनाएँ: ताज़ी हरी सब्ज़ियाँ, मौसमी फल, साबुत अनाज और प्रोटीन वाली चीजें खाएँ। पैक्ड फूड, जंक फूड, तली-भुनी चीज़ें और मीठा कम करें। ओमेगा-3 से भरपूर चीजें खाएँ जैसे अलसी, अखरोट, चिया सीड्स। इसके अलावा सही मात्रा में पानी पिएँ और डिटॉक्स ड्रिंक (गुनगुना पानी, नींबू पानी) लें।
  • वजन कंट्रोल करें: पीसीओडी/पीसीओएस में ज़्यादातर महिलाओं का वजन बढ़ जाता है। रोज़ व्यायाम करें। योग, पैदल चलना, साइकिल चलाना, तैराकी आदि से वजन कंट्रोल रखें।
  • योग और प्राणायाम: भुजंगासन, मंडूकासन, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम हार्मोन बैलन्स करने में मदद करते हैं। ध्यान मेंटल स्ट्रेस कम करता है।
  • आयुर्वेदिक औषधियाँ: ‘अशोक चूर्ण’ पीरियड्स रेगुलर करने में सहायक है। ‘शतावरी’ प्रजनन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। ‘गुडमार’, ‘त्रिफला’ और ‘गिलोय’ से हार्मोन और इंसुलिन को बैलन्स कर सकते हैं। ‘लोध्रासव’ और ‘कुमारी आसव’ पीरियड्स को रेगुलर करते हैं और गर्भधारण की संभावना बढ़ाते हैं। लेकिन, इन दवाओं को किसी अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लें।
  • स्ट्रेस मेनेजमेंट करें: रिलैक्सेशन, ध्यान, संगीत सुनना, किताबें पढ़ना तनाव को कम करते हैं। साथ ही अच्छी नींद लें, 7–8 घंटे सोएँ।
  • नेचुरल घरेलू उपाय: मेथी के दाने इंसुलिन कंट्रोल करने में सहायक हैं। दालचीनी पीरियड्स रेगुलर करने और शुगर कंट्रोल करने में मददगार है। अलसी के बीज हार्मोन बैलन्स कर सकते हैं। आंवला और नीम शरीर को डिटॉक्स करने और मेटाबॉलिज्म सुधारने में सहायक होते हैं।
  • लाइफस्टाइल सुधारे: देर रात तक जागने और ज़्यादा मोबाइल/स्क्रीन टाइम से बचें। रेगुलर सोने-जागने का समय फिक्स करें। कैफीन और अल्कोहल कम लें। समय-समय पर हेल्थ चेकअप कराएँ।

FAQs

पीसीओडी में किन चीज़ों से बचना चाहिए – PCOD mein kin cheezon se bachana chahiye?

जंक फूड, तेल वाला खाना, मीठा, ज़्यादा कैफीन और प्रोसेस्ड फूड से बचना चाहिए।

पीसीओडी में कौन-सी आयुर्वेदिक दवाएँ लाभकारी हैं – PCOD mein kaun-si ayurvedic dawayein laabhkaari hain?

अशोक चूर्ण, शतावरी, लोध्रासव, कुमारी आसव और त्रिफला जैसी जड़ी-बूटियाँ पीरियड्स रेगुलर करने और हार्मोन बैलन्स करने में मदद करती हैं।

क्या वजन कम करने से पीसीओडी में सुधार होता है – Kya wajan kam karne se PCOD mein sudhaar hota hai?

हाँ, 5–10% वजन कम करने से हार्मोन बैलन्स होते हैं, पीरियड्स रेगुलर होते हैं और गर्भधारण की संभावना बढ़ती है।

क्या पीसीओडी/पीसीओएस में प्रेग्नेंसी संभव है – Kya PCOD/PCOS mein pregnancy sambhav hai?

हाँ, सही आहार, व्यायाम और नेचुरल उपायों से पीसीओडी/पीसीओएस को कंट्रोल करके गर्भधारण संभव है।

आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको पीसीओडी/पीसीओएस का प्राकृतिक इलाज बताया। लेकिन, आप सिर्फ़ इस जानकारी या सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को पीसीओडी/पीसीओएस की समस्या है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।

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