पेशाब में प्रोटीन कैसे कम करें?
यूरिन में प्रोटीन आने की कई वजहें हो सकती हैं। जब हेल्दी बॉडी में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होने लगती है, तो बॉडी एक्सट्रा प्रोटीन को पेशाब के जरिए बाहर निकाल देती है। जिससे किडनी को काम करने में दिक्कत होने लगती है और पेशाब में प्रोटीन की समस्या आने लगती है। ऐसे में अगर आप सोच रहे हैं कि पेशाब में प्रोटीन कैसे कम करें? तो यहां जान लें।
पेशाब में प्रोटीन आने के कारण
1) किडनी में खराबी
2) दिल से जुड़ी बीमारी
3) डायबिटीज
4) मलेरिया
पेशाब में प्रोटीन के लक्षण
1) भूख कम लगना
2) पेशाब में झाग आना
3) मतली और उल्टी होना
4) सांस फूलना
5) चेहरे पर सूजन
6) थकान महसूस होना
पेशाब में प्रोटीन कैसे कम करें?
1) दालें - आप पेशाब में प्रोटीन आने की समस्या को दाल खाकर कम कर सकते हैं। इसके लिए आप अरहड़, कुल्थी दाल, हरा चना जैसी दालों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
2) फल - वहीं आप कुंदरू, मेथी, लौकी, परवल, लौकी, कच्चे या हरा केला, छोले जैसी सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल करके पेशाब में प्रोटीन आने की समस्या को रोक सकते हैं।
3) आयुर्वेदिक पौधे - आयुर्वेद में कई ऐसे पौधे हैं, जो पेशाब में प्रोटीन की समस्या को रोकने में मदद कर सकती हैं। इसमें गोक्षुरा, त्रिफला, धनिया, मेथी या इलायची जैसे आयुर्वेदिक पौधे शामिल हैं।
4) फल - आप फलों में पपीता, संतरा, तरबूज, सेब, आंवले जैसे फलों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इन फलों का सेवन करने से आपको यूरिन में प्रोटीन की समस्या में राहत मिल सकती है।
5) मसाले - वहीं आप हल्दी और दालचीनी को भी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इनका सेवन करने से प्रोटीन्यूरिया की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
तो जैसा कि आपने जाना कि पेशाब में प्रोटीन कैसे कम करें? लेकिन फिर भी इन उपायों को अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।
अगर आपको भी पेशाब में प्रोटीन आने या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। यहां पर सन् 1937 से किडनी रोगियों का आयुर्वेदक इलाज किया जा रहा है और हाल ही में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में किडनी की बीमारी से जूझ रहे रोगियों का इलाज कर रहे हैं, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेलियर का इलाज कर रहा है।