पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के 5 आयुर्वेदिक उपचार
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग एक ऐसा विकार है, जिसमें किडनी में सिस्ट होती है और उसका आकार और संख्या दोनों बढ़ते जाते हैं। इसी की वजह से किडनी खराब होने लगती है। ये सिस्ट द्रव से भरी एक थैली होती है, जो आकार और संख्या में अलग-अलग होते हैं। इसमें किडनी बड़ी होती जाती है और समय के साथ अपना सामान्य काम खो देती है, लेकिन पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के 5 आयुर्वेदिक उपचार अपनाकर आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के लक्षण
- 1) भूख की कमी होना
- 2) थकान और कमजोरी
- 3) खुजली होना
- 4) पेशाब के जरिए खून आना
- 5) पेट में गांठ होना
- 6) पेट में तेज दर्द होना
- 7) हाई बीपी की समस्या
- 8) लगातार पेशाब आना
- 9) जी मिचलाना
- 10) खून का दबाव बढ़ना
- 11) किडनी में बार-बार पथरी होना
- 12) पीठ के निचले हिस्से में दर्द
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के कारण
1) शिशु या ऑटोसोमल रिसेसिव पॉलीसिस्टिक किडनी रोग
2) ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी रोग
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग उपचार
1) अश्वगंधा - अश्वगंधा में ऐसे कंपाउंड्स मौजूद होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करते हैं। इसमें पीकेडी जैसी किडनी से जुड़ी समस्या को ठीक करने के गुण मौजूद होते हैं। इसमें कुछ मूत्रवर्धक गुण भी होते हैं, जो पॉलीसिस्टिक किडनी रोग उपचार के लिए बहुत जरूरी हैं।
2) भुई आंवला - भुई आंवला भी एक तरह की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। यह एक ऑक्सालेट होता है, जो क्रिस्टल को किडनी में जमा नहीं होने देता है। आयुर्वेद के अनुसार, भुई आंवला पित्त का संतुलन बनाता है। इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट्स, एंटी-वायरल, हाइपोग्लाइसेमिक गुण मौजूद होते हैं। इसके साथ ही इसमें मैग्नीशियम, पोटेशियम के यूरिन प्रोडक्शन को बढ़ाता है और यूरिन ऑक्सलेट को कम करता है।
3) सौंफ -सौंफ में कई तरह के एंटी-ऑक्सिडेंट्स जैसे कि मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। सौंफ टिश्यू में एक नैचुरल एंटी-ऑक्सिडेंट की तरह काम करती है जो किडनी और यूरिक एसिड के सिस्ट को कम कर सकता है। इसमें मौजूद प्रभावी एंटी-ऑक्सिडेंट्स सूजन को कम करने में मदद करते हैं और किडनी को नुकसान होने से बचा सकते हैं।
4) रोजाना एक्सरसाइज करें - एक्सरसाइज या योग करने से न सिर्फ आप मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं, बल्कि शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहते हैं। रोजाना एक्सरसाइज करने से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में बहुत आराम मिलता है। आप योग जैसे प्राणायाम वगैराह को भी अपने रूटीन का हिस्सा बना सकते हैं।
5) पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं - पानी पीने से बॉडी हाइड्रेट रहती है, लेकिन किडनी रोग के दौरान ज्यादा मात्रा में पानी पीने से सूजन की समस्या बढ़ सकती है। ऐसे में पॉलीसिस्टिक किडनी रोग वालों को कम से कम मात्रा में पानी पीना चाहिए।
तो जैसा कि आपने जाना कि पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के आयुर्वेदिक दवा क्या है। ऐसे में इन उपचारों को अपनाने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।
अगर आपको भी क्रोनिक किडनी रोग या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे किडनी को बिना डायलिसिस के ही ठीक किया जा सकता है। कर्मा आयुर्वेदा क्रोनिक किडनी रोग का आयुर्वेदिक उपचार या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज कर रहा है।