ल्यूकोडर्मा के 5 आयुर्वेदिक उपचार

ल्यूकोडर्मा को सफेद दाग या विटिलिगो भी कहा जाता है। ये एक ऐसा डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर ल्यूकोडर्मा बनना शुरू हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्किन में रंग बनाने वाली सेल्स खत्म होने लगती हैं। इन्हीं सेल्स को मेलेनोसाइट्स कहा जाता है। अगर बॉडी पर ल्यूकोडर्मा ज्यादा फैल गया है, तो ल्यूकोडर्मा के 5 आयुर्वेदिक उपचार अपनाकर इससे बचा जा सकता है।

ल्यूकोडर्मा के लक्षण

  • 1) स्किन का रंग फीका पड़ना
  • 2) चोट लगने के बाद जगह का सफेद होना
  • 3) स्किन के बालों का रंग सफेद पड़ना
  • 4) शरीर पर सफेद दाग
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ल्यूकोडर्मा के कारण

  • 1) थायरॉइड की बीमारी
  • 2) लिवर की परेशानी
  • 3) जलना या चोट लगना
  • 4) पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या
  • 5) शरीर में कैल्शियम की कमी
  • 6) स्किन पर ज्यादा धूप लगना

ल्यूकोडर्मा का इलाज

1) मूली के बीज - मूली के बीज ल्यूकोडर्मा के इलाज में बहुत उपयोगी होते हैं। इसके बीजों में विटामिन- सी, बी, फास्फोरस और जिंक होता है। इसका इस्तेमाल करने से ल्यूकोडर्मा से छुटकारा पाया जा सकता है। इसका सेवन करने के लिए मूली के बीजों को पीसकर उसका पेस्ट बना लें। इसे प्रभावित जगह पर थोड़ी देर लगाने के बाद पानी से धो लें। इससे आपको बहुत फायदा हो सकता है।

2) नीम के पत्ते - नीम के पत्तों का पेस्ट बनाकर उसे छलनी में डालकर उसका रस निकाल लें। इसके बाद उसमें शहद मिलाकर इसका सेवन करें। इसके अलावा आप अखरोट पाउडर में पानी मिलाकर भी इसका पेस्ट बना सकते हैं। इस पेस्ट को सफेद दाग वाली जगह पर लगाने से ल्यकोडर्मा में बहुत राहत मिल सकती है।

3) तुलसी - ल्यूकोडर्मा को भी ल्यूकोडर्मा का आयुर्वेदिक उपचार माना जाता है। तुलसी से न सिर्फ ल्यूकोडर्मा से बल्कि स्किन पर होने वाली खुजली और सूजन से भी राहत पाई जा सकती है। इसके पत्तों को रोजाना चबाने से इम्यून सिस्टम को मजबूत करके शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है।

तुलसी का इस्तेमाल करने के लिए आप इसकी 4-5 पत्तियों को पीसकर इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं आप इसके पत्तों को चाय में डालकर भी पी सकते हैं। इसके साथ ही ल्यूकोडर्मा को तेजी से ठीक करने के लिए प्रभावित जगह पर तुलसी के पाउडर का पेस्ट बनाकर भी लगा सकते हैं। इससे आपको ल्यूकोडर्मा की समस्या में बहुत आराम मिलेगा।

4) गिलोय - गिलोय को भी ल्यूकोडर्मा का बेहतरीन उपचार माना जा सकता है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में छोटी से छोटी और बड़ी से बीमारी को ठीक करने के लिए जाना जाता है। गिलोय का इस्तेमाल करने से आप ल्यूकोडर्मा की समस्या में राहत पा सकते हैं।

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5) हल्दी - हल्दी में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसमें सरसों का तेल मिलाकर प्रभावित जगह पर लगाने से दाग कम होने लगते हैं। इसके लिए आप हल्दी पाउडर लें और उसमें सरसों का तेल मिला लें। इसके पेस्ट को सफेद चकत्तों वाली जगह पर थोड़ी देर लगाएं और फिर धो लें। इससे आपको बहुत आराम मिलेगा।

तो जैसा कि आपने जाना कि ल्यूकोडर्मा के आयुर्वेदिक दवा क्या है। ऐसे में इसका सेवन या इस्तेमाल करने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।

अगर आपको भी ल्यूकोडर्मा या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे किडनी को बिना डायलिसिस के ही ठीक किया जा सकता है। कर्मा आयुर्वेदा में किडनी डायलिसिस का आयुर्वेदिक उपचार या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार कर रहा है।

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