आयुर्वेदा में पार्किंसन रोग ठीक हो सकता है

पार्किंसन रोग, एक एसा न्यूरोलॉजिकल विकार है जो मस्तिष्क में डोपामाइन के उत्पादन में कमी की वजह से होता है शरीर की गति को प्रभावित करता है। यह रोग सामान्य तौर से वृद्धावस्था में होता है और समय के साथ ये जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। आधुनिक चिकित्सा में इस रोग का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। आज इस आर्टिकल में हम आयुर्वेदा में पार्किंसन रोग ठीक हो सकता है इस विषय में बात करेंगे और साथ ही इसके लक्षणों और कारणों पर भी ध्यान देंगे।

पार्किंसन रोग के लक्षण

  • मांसपेशियों का कठोर होना
  • हाथों, पैरों में कांपना
  • गति धीमी होना
  • गिरने का खतरा बढ़ना
  • चेहरे का हाव-भाव कम होना
  • आवाज धीमी होना
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पार्किंसन रोग के कारण

  • आनुवांशिकता
  • उम्र का प्रभाव
  • पर्यावरणीय कारक
  • तंत्रिका कोशिकाओं की क्षति

आयुर्वेदा में पार्किंसन रोग के उपचार

  • ब्राह्मी
  • गोक्षुर
  • अश्वगंधा
  • शतावरी
  • शंखपुष्पी

पार्किंसन रोग में ब्राह्मी के फायदे

ब्राह्मी - ब्राह्मी आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि है, जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं मस्तिष्क के कोशिकाओं के बीच संकेतों को भेजने का काम डोपामाइन करता है पर जब न्यूरोट्रांसमीटर की कमी हो जाती है तब ये स्थिति बढ़ जाती है ब्राह्मी डोपामाइन के लेवल को बढ़ाता है, इसमें एंटी-एंग्जाइटी गुण भी होते हैं जो तनाव और चिंता को कम करने की कोशिश करता है साथ ही ये मानसिक शांति और सुकून देता है जिससे रोगी का मूड बेहतर होता है।

गोक्षुर - गोक्षुर तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाने के लिए बहुत असरदार माना जाता है पार्किंसन रोग में कमजोरी और मांसपेशियों में कठोरता की लक्षण सामान्य होते हैं ऐसे में गोक्षुर मांसपेशियों को पहले से मजबूत बनाते हैं, पार्किंसन रोग मुख्य रूप से वात दोष के असंतुलन से होता है ऐसा आयुर्वेद में माना जाता है और ऐसी स्थिति में गोक्षुर वात दोष को संतुलित करने में मदद करता है। और गोक्षुर मानसिक स्पष्टता में सुधार हो सकता है और अवसाद की स्थिति में राहत मिल सकती है।

अश्वगंधा - अश्वगंधा को आयुर्वेद में एक प्रमुख औषधि के रूप में देखा जाता है। पार्किंसन रोग में तंत्रिका तंत्र के न्यूरॉन्स समय के साथ क्षय होते जाते हैं जिससे शरीर के बहुत सारे कार्यों में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण भी होते हैं इसमें एंटी-एंग्जाइटी और एंटी-डिप्रेसेंट गुण होते हैं जो रोगी को बहुत से मानसिक कष्टों से निकालने में मदद करता है साथ ही अश्वगंधा शारीरिक ताकत को बढ़ाती है, जिससे रोगी को अधिक सक्रिय और ऊर्जावान महसूस होता है।

शतावरी - शतावरी विशेष रूप से तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने और मानसिक संतुलन को सुधारने के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है, पार्किंसन में शरीर की ताकत और उर्जा कम हो जाती है ऐसे में शतावरी शरीर की ताकत और ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है। इसमें इम्यून बूस्टिंग गुण होते हैं, जिससे ये रोगी को अन्य संक्रमणों और बीमारियों के प्रति बचाव में मदद करता है। यही नहीं ये जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाती है और उन्हें रोजमर्रा के कामों में सक्रिय बनाए रखती है।

शंखपुष्पी - शंखपुष्पी एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, पार्किंसन जैसी समस्या में शंखपुष्पी को बहुत फायदेमंद माना जाता है, इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं, जो शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करते हैं। शंखपुष्पी का सेवन स्मृति और मानसिक क्षमता में सुधार करने के लिए किया जाता है।

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पार्किंसन रोग के लिए उचित आहार

पार्किंसन रोग में उचित आहार का भी बहुत बड़ा योगदान है क्योंकि सही आहार से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, यहाँ कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जो एक्जिमा के रोगियों के लिए उपयुक्त हो सकते हैं:

ओमेगा-3 फैटी एसिड - ओमेगा-3 फैटी एसिड मस्तिष्क की कोशिकाओं की संरचना और कार्य को सुधारने में मदद करता है। साथ ही ये तंत्रिका तंत्र के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं।

विटामिन B12 और फोलिक एसिड - पार्किंसन रोग में अक्सर यह विटामिन कम हो सकते हैं, जिससे तंत्रिका कोशिकाओं के क्षरण बढ़ सकते हैं। और साथ ही इसके सेवन करने से तंत्रिका तंत्र को सशक्त बनाया जा सकता है।

विटामिन D - हड्डियों और तंत्रिका तंत्र के स्वास्थ्य के लिए विटामिन D बहुत जरूरी होता है जिसके बिना हड्डियों में दर्द, कमजोरी और गिरने का डर बहुत बढ़ जाता है, इसलिए विटामिन D का सेवन करना महत्वपूर्ण है।

फाइबर - पार्किंसन रोग में कब्ज़ की समस्या बहुत सामान्य है क्योंकि तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली में बदलाव आने के कारण से आंतों की गति प्रभावित हो सकती है। इसलिए, आहार में भरपूर फाइबर होना चाहिए जिससे पाचन प्रक्रिया सही बनी रहे।

अगर आप भी जानना चाहते हैं कि आयुर्वेदा में पार्किंसन रोग ठीक हो सकता है, तो यह ब्लॉग आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें और कोई भी उपचार चुनने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। साथ ही अगर आप या आपके कोई परिजन पार्किंसन या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं और आप पार्किंसन के लिए सबसे अच्छी दवा ढूंढ़ रहे हैं, तो आप कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक चिकित्सकों से इलाज करवा सकते हैं। सेहत से जुड़े ऐसे ही ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।

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