पार्किंसन के घरेलू उपाय - कर्मा आयुर्वेदा

पार्किंसन की बीमारी एक न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है। इस बीमारी का असर दिमाग के उस हिस्से पर होता है, जो शरीर की गति को नियंत्रित करता है। आमतौर पर पार्किंसन रोग तब होता है, जब दिमाग में डोपामाइन रसायन का स्तर कम हो जाता है। डोपामाइन की कमी से आपको कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कंपन, मांसपेशियों में अकड़न, धीमी गति और संतुलन की समस्या आदि। अगर आसान शब्दों में कहें, तो पार्किंसन एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर की गति नियंत्रित करने वाली तंत्रिका कोशिकाओं के फंक्शन में समस्या आती है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, अधिक उम्र वाले व्यक्तियों में ज्यादा आम है। ऐसे में आपको पार्किंसन के घरेलू उपाय के साथ-साथ इसके लक्षण और कारण भी जानने चाहिए।

पार्किंसन के लक्षण

पार्किंसन के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  • कंपन
  • धीमी गति
  • मासपेशियों में दर्द या अकड़न
  • संतुलन में कमी
  • लिखने में परेशानी
  • काम करने में कठिनाई
  • थकान और कमजोरी
  • दर्द और असुविधा
  • चिंता और तनाव
  • चबाने, निगलने या बोलने में समस्या
  • नींद की समस्या

पार्किंसन के कारण

आमतौर पर पार्किंसन की बीमारी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:

  • आनुवांशिकता
  • पर्यावरणीय कारण
  • डोपामाइन की कमी
  • उम्र और लिंग
  • मस्तिष्क की संरचना में बदलाव
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पार्किंसन के घरेलू उपाय

पार्किंसन एक गंभीर और धीमी गति से बढ़ने वाली बीमारी है, जिससे शरीर की गति, संतुलन और शारीरिक कार्य प्रभावित होते हैं। इस समस्या का कोई स्थायी इलाज नहीं है। हालांकि, पार्किंसन के घरेलू उपाय और जीवनशैली में सुधार से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे ही कुछ प्राकृतिक और प्रभावी उपचार विकल्पों में शामिल हैं:

फल और हरी पत्तेदार सब्जियां- किवी, केला और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक और सरसों तंत्रिका तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इनमें विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जिससे पार्किंसन के लक्षण कम करने और पाचन क्रिया को बेहतर बनाने समेत कई फायदे प्राप्त हो सकते हैं।

कैल्शियम और विटामिन डी- विटामिन D और कैल्शियम दोनों को ही पार्किंसन के मरीजों के लिए बहुत ज़रूरी माना जाता है। इनसे हड्डियां मजबूत होती हैं और तंत्रिका तंत्र में सुधार होता है। रोजाना धूप में बैठने से आपको विटामिन D प्राप्त हो सकता है। इसके अलावा दूध, हरी पत्तेदार सब्जियों और मछली जैसे कैल्शियम युक्त आहार के सेवन से शरीर में कैल्शियम की पूरी हो सकती है।

तनाव का प्रबंधन- मानसिक शांति और तनाव का प्रबंधन पार्किंसन की बीमारी में प्रभावी उपचार विकल्प हो सकते हैं। तनाव को कम करने के लिए मनोविज्ञान और भावनात्मक स्वास्थ्य पर ध्यान भी ज़रूरी है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सकारात्मक सोच और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य से पार्किंसन के लक्षण कम होते हैं।

एसेंशियल ऑयल से मालिश- एसेंशियल तेल की मालिश से भी पार्किंसन के लक्षणों में कमी आती है। इसके लिए आप नारियल तेल, तिल का तेल या जोजोबा तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह प्राकृतिक तेल मांसपेशियों की अकड़न और दर्द जैसी समस्या से राहत देते हैं। इस प्रकार के तेल में तंत्रिका तंतुओं को आराम देने और शरीर में रक्त प्रवाह को सुधारने के गुण होते हैं, जिससे तनाव भी कम होता है।

अच्छी नींद- पार्किंसन के मरीजों को अक्सर अच्छी नींद के लिए शांत और आरामदायक वातावरण में सोने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि अच्छी नींद से शरीर को ऊर्जा मिलती है और तंत्रिका तंत्र की मरम्मत होती है।

पर्याप्त मात्रा में पानी पीना- पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से पार्किंसन के लक्षणों में सुधार होता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि शरीर में पानी की कमी मांसपेशियों में ऐंठन और कब्ज जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है।

योग और हल्के व्यायाम- योग और व्यायाम से मांसपेशियां मजबूत और लचीली बनती हैं, जिससे पार्किंसन रोग के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा योग और व्यायाम से आपको कई स्वास्थ्य संबंधी फायदे मिलते हैं।

शारीरिक गतिविधियां- चलने और स्ट्रेचिंग जैसी शारीरिक गतिविधियां मांसपेशियों की जकड़न, संतुलन की समस्या, तंत्रिका तंत्र में गड़बड़ी और नींद की समस्या में सुधार करती हैं।

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आमतौर पर पार्किंसन के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और समय के साथ यह ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। पार्किंसन के घरेलू उपचार और जीवनशैली में बदलाव से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन कोई भी उपचार विकल्प चुनने से पहले आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि गलत इलाज से समस्या ज्यादा गंभीर हो सकती है। अगर आप या आपके किसी परिजन को स्वास्थ्य से संबंधित कोई समस्या है, तो आज ही कर्मा आयुर्वेदा क्लीनिक में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक चिकित्सक से अपना इलाज करवाएं। सेहत से संबंधित ऐसे ही ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।

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