खाना सही से पच जाए तो इंसान कई सारी बिमारियों से अपने आप मुक्त हो सकता है जिसमें सबसे ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट रोल होता है हमारी आँतों का। ये खाना पचाने, न्यूट्रीशन प्रोसेस करने और वेस्ट मटेरियल को बाहर निकालने का काम करती हैं।
अगर आंते ठीक से काम न कर पाएं तो कब्ज, गैस, एसिडिटी, अपच, थकान, स्किन एलर्जी, बाल झड़ना और इम्युनिटी कम होना जैसी ढ़ेरों बीमारियाँ लग जाती हैं। इसीलिए, गट (आंतों) हेल्थ का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। अंग्रेजी दवाओं का इस्तेमाल करने से साइड इफेक्ट्स का ख़तरा रहता है इसलिए, आंतों को मजबूत करने की आयुर्वेदिक दवा के बारे में जानना ज़्यादा सही रहेगा। लेकिन इससे पहले आंतें खराब होने का कारण पता होना चाहिए ताकि इलाज में आसानी हो।
आम तौर पर ईन कारणों से आंतें खराब होती हैं –
पेट की आंतों की सफाई के लिए ईन दवाओं का उपयोग किया जा सकता है –
1. त्रिफला: त्रिफला तीन फलों - आंवला, हरड़ और बहेड़ा से मिलकर बना एक आयुर्वेदिक मिश्रण है। यह पाचन को बेहतर बनाने, कब्ज से राहत दिलाने और आंतों को साफ करने में मदद करता है।
2. हरीतकी: हरड़ एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो पाचन में सुधार और कब्ज से राहत दिलाने में मदद करती है। यह शरीर से ज़हरीले तत्त्वों को निकालने और पूरी तरह आँतों में सुधार करने में भी मदद करती है।
3. सोंठ: सोंठ, या सूखी अदरक, एक नेचुरल एंटी-इंफ्लेमेटरी है जो पाचन को मजबूत बनाने में मदद करती है। यह पाचन को त्रिगर करने और कब्ज से राहत दिलाने में भी मदद करता है।
4. अजवाइन: अजवाइन एक मसाला है जो पाचन में सुधार और गैस और सूजन को कम करने में मदद करता है।
5. इसबगोल: इसबगोल एक नेचुरल फाइबर है जो मल को नरम करने और मल त्याग को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह कब्ज से राहत दिलाने और आंतों के स्वास्थ्य में सुधार करने में भी मदद करता है।
गट (आँतों) हेल्थ के लिए ईन टिप्स को फॉलो करें –
आंतें खराब होने का कारण और आँतों को हेल्थी रखने की आयुर्वेदिक दवा के अलावा कुछ ज़रूरी सवाल और जानकारियाँ नीचे दी गयी हैं जो रोगी को बहुत फायदा पहुंचा सकती है।
अगर सही आयुर्वेदिक दवा, खान-पान और दिनचर्या अपनाई जाए तो 15-30 दिनों में आंतों की स्थिति में सुधार नजर आने लगता है। गंभीर मामलों में यह समय 2-3 महीने भी हो सकता है।
ज़्यादातर मामलों में आयुर्वेदिक दवा का साइड इफेक्ट नहीं होता। लेकिन प्रकृति के अनुसार मरीज में गर्मी या ढीलापन आ सकता है। इसलिए आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लेकर ही ईन दवाओं का सेवन करें।
बच्चों के लिए त्रिफला, अजवाइन-हींग जल और आंवला रस हल्के रूप में दिया जा सकता है। हालांकि बच्चों की आयु, वजन और पाचन के अनुसार ही खुराक फिक्स की जानी चाहिए।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको आंतों को मजबूत करने की आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताया। लेकिन आप सिर्फ़ ईन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को आंतों (गट हेल्थ) से जुड़ी समस्या है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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