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इसे शोर्ट में पी. के. डी. भी कहते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें किडनी में कई सारे सिस्ट यानी गांठे बन जाती हैं जो पानी जैसे तरल द्रव से भरी होती हैं। इससे किडनी का साइज़ बढ़ जाता है और किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती; यहाँ तक कि किडनी फ़ैल भी हो सकती है।
क्योंकि इस रोग का कोई तय ईलाज नहीं है, इसलिए इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि पॉलीसिस्टिक किडनी रोग होने पर क्या नहीं खाना चाहिए। लेकिन इससे पहले इस रोग के बारे में कुछ दूसरी ज़रूरी जानकारियाँ लेनी चाहिए जो नीचे दी गयी हैं।
यह रोग खराब जींस की वजह से होता है, जो माता-पिता से बच्चों को विरासत में मिले होते हैं; यानी कि यह एक अनुवांशिक रोग है।
यह रोग दो प्रकार का होता है -
ऑटोसोमल डोमिनेंट
इस टाइप का पीकेडी लगभग 90 % मामलों में पाया जाता है; जो पीकेडी-1 या पीकेडी-2 जींस में बदलाव के कारण होता है।
यह माता-पिता से विरासत में मिला होता है, लेकिन इसके लक्षण आमतौर पर 30 से 40 साल की उम्र के बीच विकसित होते हैं, कुछ मामलों में बचपन में भी शुरू हो सकते हैं।
ऑटोसोमल रिसेसिव
यह सबसे कम, लगभग 10 % मामलों में होता है। इसे शिशु पीकेडी भी कहा जाता है, क्योंकि यह बच्चों में होता है।
यह पीकेएचडी-1 जींस में बदलाव के कारण होता है।
इस रोग के लक्षण आमतौर पर जन्म के समय या जन्म के कुछ ही समय बाद शुरू हो जाते हैं।
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के दोनों प्रकारों में अलग-अलग लक्षण होते हैं जो नीचे दिए गए हैं -
ऑटोसोमल डोमिनेंट
ऑटोसोमल रिसेसिव
ईन लक्षणों से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग की पहचान के बाद खान-पान पर ज़रूर ध्यान देना चाहिए ताकि किडनी ठीक से काम कर पाएं और रोगी को थोड़ी राहत मिले। इसलिए नीचे दी गयी ये जानकारी ज़रूर लें कि पॉलीसिस्टिक किडनी रोग होने पर क्या नहीं खाना चाहिए।
इस रोग में आम तौर पर ईन चीज़ों का परहेज़ करना चाहिए -
किडनी में सिस्ट होने पर कम मात्रा में प्रोटीन वाला खाना खाना अच्छा होता है। क्योंकि ज्यादा प्रोटीन किडनी पर ज़्यादा दबाव डाल सकता है।
पूरी तरह छोड़ने की जरूरत नहीं है, लेकिन पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में डेयरी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल सिमित रखना चाहिए, क्योंकि डेयरी में फास्फोरस और पोटेशियम ज़्यादा होता है, जो किडनी के लिए हानिकारक हो सकता है।
वो फल नहीं खाने चाहिए जिनमें पोटेशियम की मात्रा ज़्यादा हो, जैसे - केला, अमरुद, खुबानी, संतरा, अंगूर, अनानास और चीकू। इसके अलावा उन फलों से भी बचना चाहिए जिनमें चीनी ज़्यादा होती है जैसे आम, नाशपाती।
कैफीन का सेवन, ख़ास कर ज़्यादा मात्रा में, सुरक्षित नहीं होता है। कैफीन एक उत्तेजक है और यह हाई बीपी, डिहाइड्रेशन और दिल की धड़कन को बढ़ा सकता है, जो पीकेडी रोगियों के लिए नुकसानदायक है।
आज के इस ब्लॉग में हमने आपको बताया कि पॉलीसिस्टिक किडनी रोग होने पर क्या नहीं खाना चाहिए। लेकिन आप सिर्फ़ ईन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको पॉलीसिस्टिक किडनी रोग है या ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेद के साथ।
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