पार्किंसन रोग एक न्यूरोलॉजिकल रोग है, जिसमें दिमाग में डोपामाइन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी हो जाती है। यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और मांसपेशियों में कठोरता, शरीर में कंपन (tremors), बैलेंस की समस्या, और चलने में कठिनाई जैसे लक्षणों के रूप में सामने आती है।
पार्किंसन का इलाज पूरी तरह संभव नहीं है, लेकिन लाइफस्टाइल, दवाइयों और खास तौर पर सही डाइट के ज़रिए इसके लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। इसलिए ये जानना बहुत ज़रूरी है कि पार्किंसन के मरीज को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
पार्किंसन रोग में सही डाइट तीन कारणों से ज़रूरी है:
ईन चीज़ों को पार्किंसन रोग में खाया जा सकता है -
एंटीऑक्सीडेंट दिमाग की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और न्यूरोलॉजिकल नुकसान को कम करते हैं। सेब, ब्लूबेरी, अंगूर, अनार जैसे फल खाना पार्किंसन में फायदेमंद होता है। इसी तरह सब्जियों में ब्रोकली, पालक, गाजर, टमाटर और बीटरूट खाना पार्किंसन में राहत पंहुचा सकता है।
पार्किंसन के मरीजों में कब्ज एक आम समस्या होती है। फाइबर वाला खाना इस परेशानी को कम करता है। दलिया, साबुत अनाज (ब्राउन राइस, ओट्स), फल, हरी सब्जियां, बीन्स और चिया सीड्स - ये सब फाइबर के ख़ास सोर्स हैं।
यह दिमाग की कार्यप्रणाली को सुधारते हैं और न्यूरोइनफ्लेमेशन को कम करते हैं। इसके लिए आप अलसी के बीज, अखरोट और सोया खा सकते हैं।
प्रोटीन डोपामाइन की दवा Levodopa के असर में रुकावट डाल सकता है। इसलिए, प्रोटीन का सेवन दवा से कम-से-कम 1 घंटे बाद करना चाहिए। प्रोटीन के ख़ास सोर्स हैं - मूंग दाल, दही, टोफू और दूध।
ये दोनों विटामिन्स दिमाग की तंत्रिकाओं को बेहतर बनाते हैं और थकान व भ्रम जैसी समस्याएं कम करते हैं। इसके लिए केला, आलू, दूध और बीन्स खा सकते हैं।
पार्किंसन मरीजों में गिरने और हड्डियों की कमजोरी का खतरा ज़्यादा होता है। इसलिए दूध, दही और पनीर आदि खाना चाहिए। इसके साथ ही सूरज की रोशनी भी लेनी चाहिए।
ईन चीज़ों से पार्किंसन के मरीज को परहेज़ रखना चाहिए -
बिस्किट, चिप्स, नमकीन, बर्गर, पिज्जा जैसा प्रोसेस्ड और फ्राइड फूड खाने से सूजन (inflammation) बढ़ सकती है और यह शरीर को कमजोर बनाते हैं।
ज़्यादा शक्कर से वजन बढ़ता है और थकान जल्दी लगती है। ज़्यादा नमक से हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है जो पार्किंसन में जोखिम भरा है।
ये दिमाग की कार्यप्रणाली को बाधित कर सकते हैं और नींद की समस्या बढ़ा सकते हैं।
यह दवाओं के असर में बाधा बन सकता है। इसलिए प्रोटीन सिमित मात्रा में रखें।
पार्किंसन में खान-पान से जुड़े कुछ ज़रूरी सवाल और जानकारियाँ नीचे दिए गए हैं जो रोगी को बहुत फायदा पहुंचा सकती हैं।
हां, लेकिन सीमित मात्रा में और Levodopa दवा के समय से कम से कम 1–1.5 घंटे बाद खानी चाहिए, ताकि दवा का असर कम न हो।
हां, दूध में कैल्शियम और विटामिन D होता है जो हड्डियों को मजबूत करता है। लेकिन दूध का सेवन दवा से कुछ समय के अंतराल पर करें।
बिल्कुल। शाकाहारी डाइट में भरपूर फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन मिलते हैं। बस यह सुनिश्चित करें कि विटामिन B12 की पूर्ति सप्लीमेंट से हो रही है।
नहीं, उपवास से ब्लड शुगर लेवल गिर सकता है और कमजोरी बढ़ सकती है। लगातार छोटे-छोटे मील्स लेना फायदेमंद है।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया कि पार्किंसन के मरीज को क्या खाना चाहिए। लेकिन आप सिर्फ़ ईन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को पार्किंसन की समस्या है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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