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हमारा शरीर तीन मुख्य दोषों – वात, पित्त और कफ – से मिलकर बना है। जब ये तीनों बैलेंस होते हैं, तो शरीर स्वस्थ रहता है। लेकिन जब इनमें से कोई भी दोष असंतुलित होता है, तो अनेक प्रकार की बीमारियां जन्म लेती हैं। ऐसे ही जब पित्त बढ़ता है, तो शरीर में गर्मी बढ़ने, पाचन में गड़बड़ी, त्वचा रोग, एसिडिटी, सिरदर्द, झुंझलाहट जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इसलिए पित्त का रामबाण इलाज जानना बहुत ज़रूरी है। लेकिन इससे पहले इस रोग के बारे में कुछ आम जानकारियाँ लेनी चाहिए जो नीचे दी गयी हैं।
ईन लक्षणों से आम तौर पर पित्त बढ़ने की पहचान की जा सकती है -
पेट में पित्त बढ़ना कई कारणों से हो सकता है, जैसे:
पित्त का आयुर्वेदिक उपचार और पित्त के लिए घरेलु उपाय, पित्त का रामबाण इलाज हैं; जो इस प्रकार हैं -
त्रिफला चूर्ण (हरड़, बहेड़ा, आंवला) पाचन को स्ट्रोंग करता है और पित्त को बैलेंस करता है। रात में सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें। इससे पेट साफ रहेगा और पित्त की गर्मी कम होगी।
ठंडी चीजें जैसे: सौंफ का पानी, नारियल पानी, बेल का शरबत, खस का शरबत, दही या छाछ, गिलोय का रस लें। ये शरीर को अंदर से ठंडक देती हैं और पाचन में भी मदद करती हैं।
इसके लिए 1 चम्मच सौंफ, 1 चम्मच धनिया के बीज और 1 गिलास पानी लें। रात को सौंफ और धनिया को पानी में भिगो दें। सुबह इसे छानकर पी लें।
ये शरीर से ज़हरीले तत्वों को बाहर निकालते हैं और पाचन को सुधारते हैं। 10 मिली गिलोय का रस सुबह खाली पेट लें और नीम की पत्तियों को चबाना या उनका रस लेना सही रहता है।
अश्वगंधा एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो मन को शांत करती है और पाचन को ठीक करती है। रात को 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर दूध के साथ लें।
एलोवेरा का रस पाचन क्रिया को मजबूत करता है और शरीर की गर्मी को कम करता है। सुबह खाली पेट 10-15 मिली एलोवेरा जूस पिएं।
आंवला में विटामिन C भरपूर होता है, जो पाचन में सहायक है और शरीर को ठंडा रखता है। आंवला जूस सुबह खाली पेट लें या सूखे आंवले का पाउडर एक चम्मच शहद के साथ ले सकते हैं।
तली-भुनी और मसालेदार चीजों से परहेज करें, खट्टे फल जैसे नींबू, टमाटर, इमली कम खाएं, ज्यादा मिर्च और गर्म मसालों से दूर रहें, गुनगुना पानी पिएं, बर्फ का इस्तेमाल न करें और एक समय पर एक ही भोजन लें – मिक्स न करें।
कुछ योगासन जो मदद करते हैं: वज्रासन (भोजन के बाद), पवनमुक्तासन, भ्रामरी प्राणायाम और अनुलोम विलोम। इनसे पाचन तंत्र मजबूत होता है और पित्त संतुलित रहता है।
अगर आप दिनभर काम करते हैं और नींद पूरी नहीं करते, तो पेट की गर्मी और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें। मोबाइल का प्रयोग रात को कम करें, ध्यान और मेडिटेशन की आदत डालें।
अविपत्तिकर चूर्ण, कामदुधा रस, सुतशेखर रस, शंखवटी और गिलोय घनवटी - ये दवाइयाँ पित्त के लिए लाभकारी होती हैं, लेकिन इन्हें किसी अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लें।
पित्त बढ़ने के लक्षण, कारण और इलाज के अलावा इस रोग के बारे में कुछ और ज़रूरी सवाल और जानकारियाँ नीचे दी गयी हैं जो रोगी को बहुत फायदा पहुंचा सकती हैं।
अगर आपने मूल कारणों को नहीं बदला (जैसे खानपान, तनाव), तो यह बार-बार हो सकती है।
हां, लंबे समय तक पित्त बढ़ा रहे तो बाल झड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
हाँ, पित्त की वजह से उल्टी हो सकती है। पित्त एक पीला या हरा तरल पदार्थ है जो लिवर द्वारा बनता है और पाचन में सहायता करता है।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको पित्त का रामबाण इलाज बताया। लेकिन आप सिर्फ़ ईन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को पित्त की समस्या है या पित्त बढ़ने के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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