?>
बवासीर (Piles) एक आम और बेहद तकलीफ़ देने वाला रोग है, जो आज के समय में खराब लाइफ स्टाइल के चलते तेजी से बढ़ रहा है। यह रोग गुप्त अंगों से जुड़ा होने के कारण कई लोग शर्म के मारे इसे नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन समय पर उचित उपचार और जीवनशैली में बदलाव से इससे छुटकारा पाया जा सकता है। इस बीमारी में बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा का पता होना बहुत ज़रूरी है जो नीचे दी गयी हैं लेकिन पहले इस बीमारी के बारे में कुछ आम जानकारियाँ लेनी चाहिए जो इस प्रकार हैं।
बवासीर को आयुर्वेद में "अर्श" कहा गया है। यह दो प्रकार की होती है:
खूनी बवासीर (Bleeding Piles): जिसमें मलत्याग के समय खून आता है।
बदबूदार व सूजनयुक्त बवासीर (Non-Bleeding or Dry Piles): जिसमें मस्से बन जाते हैं और दर्द या जलन होती है।
बवासीर होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
ईन लक्षणों से बवासीर रोग की पहचान की जा सकती है -
आयुर्वेद में बवासीर को "त्रिदोष" यानी वात, पित्त और कफ असंतुलन का परिणाम माना गया है। इसका इलाज शरीर के अंदर बैलेंस लाकर किया जाता है, जिससे बवासीर की जड़ से इलाज संभव हो सके। बवासीर के उपचार के लिए ईन आयुर्वेदिक दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है -
1. त्रिफला चूर्ण – पाचन का रक्षक: रोज रात को सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें। यह कब्ज मिटाता है, मल त्याग आसान करता है और आंतों की सफाई करता है।
2. अरशोघ्नी वटी - बवासीर की आयुर्वेदिक गोली: इसे डॉक्टर की सलाह से दिन में 2 बार लें। यह खूनी और सूखी दोनों तरह की बवासीर में असरदार होती है।
3. कुटज घनवटी – खूनी बवासीर में फायदेमंद: सुबह-शाम एक-एक गोली गर्म पानी से लें। यह दस्त और खून को नियंत्रित करता है।
4. नागकेशर – खून बहने से रोकने की आयुर्वेदिक औषधि: इसे 1-2 ग्राम शहद या मिश्री के साथ दिन में 2 बार लें। यह खूनी बवासीर में बहुत लाभकारी होता है।
5. हरीतकी (हरड़) - त्रिफला में मौजूद हरड़ पाचन शक्ति बढ़ाती है और मल को नरम बनाती है। यह बवासीर की शुरुआत में बहुत प्रभावी है।
आयुर्वेदिक दवाइयों के अलावा बवासीर का उपचार करने के कुछ दुसरे तरीके भी हैं जो नीचे दिए गए हैं।
1. एलोवेरा जेल: इसे गुदा क्षेत्र पर लगाने से जलन और सूजन में राहत मिलती है। यह इन्फेक्शन को रोकता है और मस्सों को सुखाने में मदद करता है।
2. नारियल तेल: इसे दिन में 2-3 बार मस्सों पर लगाएं। इसके एंटी-बैक्टीरियल और सूजन-नाशक गुणों से लाभ पहुंचता है।
3. बर्फ से सेकाई: मस्सों पर 10-15 मिनट तक बर्फ का ठंडा सेक करें। इससे सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
4. अनार का छिलका और मिश्री: अनार के सूखे छिलकों को पीसकर मिश्री के साथ मिलाएं और पानी के साथ लें। यह खूनी बवासीर में खून रोकने में मदद करता है।
बवासीर में ईन चीज़ों को खाना-पान में शामिल करना चाहिए -
बवासीर में ईन चीज़ों से बच कर रहें -
ईन आदतों को अपनाने से बवासीर में फायदा हो सकता है -
योग और प्राणायाम करें, ख़ासकर "पवनमुक्तासन", "वज्रासन" और "अर्धमत्स्येन्द्रासन"।
बवासीर के कारण, लक्षण और इलाज के अलावा कुछ और ज़रूरी सवाल और जानकारियाँ नीचे दी गयी हैं जो रोगी को फायदा पहुंचा सकती हैं।
हाँ, यदि सही समय पर इलाज शुरू किया जाए तो बवासीर को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
हाँ, आयुर्वेदिक दवाओं और खानपान से बवासीर का इलाज बिना सर्जरी संभव है।
अगर दूध से कब्ज नहीं होती तो सीमित मात्रा में ले सकते हैं, वरना दही या छाछ बेहतर ऑप्शन हैं।
फाइबर का सेवन बढ़ा दें, पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, टॉयलेट स्टूल का इस्तेमाल करें। इसके अलावा एलोवेरा जेल, एप्सम सॉल्ट और ग्लिसरीन, नारियल तेल और आइस पैक का उपयोग करें।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताया। लेकिन आप सिर्फ़ ईन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को बवासीर की समस्या है या बवासीर के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
Second Floor, 77, Block C, Tarun Enclave, Pitampura, New Delhi, Delhi, 110034