किडनी हमारी बॉडी का ख़ास अंग हैं। ये न सिर्फ शरीर से ज़हरीले तत्त्व (toxins) निकालती हैं, बल्कि ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने, शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का बैलेंस बनाए रखने, और हार्मोन बनाने में भी ख़ास रोल निभाती हैं।
खराब डाइट, जंक फूड और स्ट्रेस – ये सब हमारी किडनी को धीरे-धीरे खराब कर सकते हैं, जिसके लक्षण शुरुआत में दिखाई भी नहीं देते। इसलिए, किडनी का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेदिक दवा एक सही चुनाव है क्योंकि ईन दवाओं के साइड इफेक्ट्स नहीं होते। लेकिन पहले किडनी खराब होने के कारण जान लेना चाहिए जो नीचे दिए गए हैं।
आयुर्वेद के अनुसार किडनी रोग ख़ासकर वात, पित्त और कफ दोषों का बैलेंस बिगड़ने से होते हैं। इसके अलावा कुछ ख़ास कारण हैं –
इन सभी कारणों से शरीर में ज़हरीले तत्त्व इकट्ठा होने लगते हैं, जो धीरे-धीरे किडनी के काम पर असर डालते हैं।
आयुर्वेद में ऐसी कई नेचुरल दवाइयाँ बताई गई हैं जो किडनी को डिटॉक्स करने, किडनी स्टोन को घोलने, और किडनी के काम को बेहतर करने में मदद करती हैं। इनमें ख़ास हैं –
वरुण किडनी स्टोन को तोड़ने और यूरिन को साफ करने में मदद करती है। यह मूत्र प्रणाली की सूजन को कम करती है और पेशाब के रास्ते की रुकावटें दूर करती है। डॉक्टर की सलाह के साथ वरुण की छाल का चूर्ण पानी के साथ दिन में दो बार लेना चाहिए।
गोखरू आयुर्वेद में बहुत फेमस दवा है जो पेशाब बढ़ाती है। यह यूरिन को साफ करता है और पेशाब में जलन, रुकावट, या इंफेक्शन जैसी समस्याओं को दूर करता है। चूर्ण या कैप्सूल; दोनों तरीकों से इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। एक चम्मच गोखरू चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लें।
यह किडनी के लिए एक पावरफुल टॉनिक है। यह सूजन घटाती है, पानी की रुकावट को खत्म करती है, और यूरिनरी सिस्टम को डिटॉक्स करती है। पुनर्नवा अर्क (liquid form) या टैबलेट्स, दोनों लिए जा सकते हैं। 5–10 ml अर्क को पानी के साथ मिलाकर दिन में 2 बार लें।
ये आयुर्वेदिक टैबलेट कई जड़ी-बूटियों का मिश्रण है, जो यूरिनरी सिस्टम, किडनी, और मूत्राशय को मजबूत बनाती है। यह किडनी स्टोन, यूरिन इंफेक्शन, और पेशाब की रुकावट जैसी समस्याओं में असरदार मानी जाती है। 1–2 टैबलेट्स दिन में 2 बार खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ लें।
गिलोय सब गुणों से भरपूर औषधि है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, डिटॉक्स करता है और किडनी के काम में सुधार लाता है। गिलोय का रस (10-15 ml) या टैबलेट फॉर्म में लिया जा सकता है।
ध्यान रखें: ये दवाइयाँ किसी अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लें।
किडनी खराब होने के कारण और किडनी को स्वस्थ रखने के उपाय के अलावा और भी ज़रूरी जानकारियाँ नीचे शेयर की गयी हैं जो बहुत उपयोगी हैं।
आयुर्वेदिक दवाओं का असर कुछ हफ्तों या महीनों में दिखाई देता है। आमतौर पर 2–3 महीने का कोर्स लिया जाता है, लेकिन रोगी की स्थिति, उम्र और बीमारी के हिसाब से समय ज़्यादा भी लग सकता है।
त्रिफला किडनी को साफ़ करने में मदद कर सकता है और आयुर्वेदिक किडनी डिटॉक्स प्रक्रिया में भी सहायक है।
हर्बल उपचार, पंचकर्म, योग और डाइट में बदलाव से किडनी की सफाई की जाती है।
सही मात्रा में पानी पीएं, हल्का और आसानी से पचने वाला खाना खाएं और डिटॉक्स हर्बल टी लें जो पुनर्नवा, धनिया, और अजवाइन से बनती हैं।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताया। लेकिन आप सिर्फ़ ईन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी साथी/रिश्तेदार की किडनी खराब है या किडनी की कोई भी समस्या है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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