नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग होने पर क्या नहीं खाना चाहिए

नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग क्या होता है - Nephrotic Syndrome Rog kya hota hai?

नेफ्रोटिक सिंड्रोम एक ऐसी कंडीशन है जिसमें किडनी में प्रोटीन को फ़िल्टर करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे ज़्यादा मात्रा में प्रोटीन पेशाब में निकलने लगता है। इससे शरीर में सूजन और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

यह रोग किडनी को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए ये जानना बहुत ज़रूरी है कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग होने पर क्या नहीं खाना चाहिए? लेकिन इससे पहले इस रोग से जुड़ी कुछ और ज़रूरी बातें जान लेनी चाहिए जो नीचे दी गयी हैं।

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नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग के कारण - Nephrotic Syndrome Rog ke karan

किडनी में एक छोटा सा हिस्सा होता है, ग्लोमेरुलस; जो फ़िल्टर जैसा दिखाई देता है। इसी ग्लोमेरुलस को जब नुकसान पहुँचता है तो नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग होता है क्योंकि फिर ग्लोमेरुलस प्रोटीन को फ़िल्टर करने का काम नहीं कर पाता।

ईन कारणों से ग्लोमेरुलस को नुकसान होता है जिससे, नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग होता है -

मिनिमल चेंज डिजीज : यह एक किडनी डिसीज़ है और बच्चों में नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग का सबसे आम कारण है। इसमें ग्लोमेरुलस में हल्का नुकसान होता है।

मेम्ब्रेनस ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस : बड़ों में यह सबसे आम कारण है, जिसमें ग्लोमेरुलस में सूजन और झिल्ली मोटी हो जाती है। यह भी एक किडनी डिसीज़ है।

फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्केलेरोसिस : यह भी किडनी में होने वाला एक ऐसा रोग है जिसमें ग्लोमेरुलस की कुछ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।

दूसरी बीमारियाँ और इन्फेक्शन : डायबिटीज और ल्यूपस जैसी बिमारियों से भी नेफ्रोटिक सिंड्रोम हो सकता है।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग के लक्षण - Nephrotic Syndrome Rog ke lakshan

ईन लक्षणों से नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग की पहचान की जा सकती है -

  • सूजन: पैरों, टखनों, आँखों के आसपास और शरीर के दुसरे हिस्सों में सूजन हो सकती है।
  • थकान
  • वजन बढ़ना: पानी जमा होने के कारण वजन बढ़ सकता है।
  • पेशाब में झाग: मूत्र में अधिक प्रोटीन होने के कारण झाग हो सकता है।
  • खून में प्रोटीन की कमी
  • ब्लड में फैट का लेवल बढ़ना

ईन लक्षणों से इस रोग की पहचान करने के बाद खान-पान पर ख़ास ध्यान देना चाहिए और कुछ चीज़ों का परहेज़ करना चाहिए जिसके बारे में जानकारी नीचे दी गयी है।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग होने पर क्या नहीं खाना चाहिए - Nephrotic Syndrome Rog hone par kya nahi khana chahiye?

आम तौर पर इस रोग में ईन चीज़ों से परहेज़ करना चाहिए -

  • ज़्यादा नमक वाली चीज़ें जैसे : चिप्स, नमकीन, अचार, सॉस।
  • प्रोसेस्ड/डिब्बाबंद फ़ूड
  • ज़्यादा प्रोटीन वाली चीज़ें जैसे : मांस, मछली, अंडा, पनीर।
  • सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट वाली चीज़ें जैसे : तला-भुना, बटर, घी, मलाई, जंक फूड, फास्ट फूड।
  • ज़्यादा पोटेशियम वाली चीज़ें जैसे : केला, नारियल पानी, आलू, पालक, सूखे मेवे।
  • ज़्यादा फॉस्फोरस वाली चीज़ें जैसे : दूध, चीज़, चॉकलेट, नट्स।
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इसके अलावा नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग में खान-पान से जुड़े और भी ज़रूरी सवाल और जानकारियाँ नीचे दी गयी हैं।

क्या दूध और डेयरी उत्पाद नेफ्रोटिक सिंड्रोम में नुकसानदायक हैं - Kya Doodh aur Dairy Products Nephrotic Syndrome mein nuksandayak hai?

हमेशा नुकसानदायक नहीं होते। लेकिन दूध में फॉस्फोरस होता है और कुछ डेयरी प्रोडक्ट्स में सोडियम की मात्रा ज़्यादा होती है जिससे नुकसान पहुँच सकता है, इसलिए डॉक्टर की सलाह लेकर ही दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना चाहिए।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम में कौन-से फल नहीं खाने चाहिए - Nephrotic Syndrome mein kaun se phal nahi khane chahiye?

इस रोग में उन फलों से बचना चाहिए जिनमें पोटेशियम की मात्रा ज़्यादा होती है, जैसे केले, संतरे, आलूबुखारा, और टमाटर।

क्या नेफ्रोटिक सिंड्रोम में कॉफी और चाय पीना ठीक है - Kya Nephrotic Syndrome mein coffee aur chay pina theek hai?

क्योंकि ये दोनों लिक्विड हैं और इस रोग में शरीर में लिक्विड जमा हो जाता है, इसलिए नेफ्रोटिक सिंड्रोम में कॉफी और चाय का सेवन सिमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह लेकर ही करना चाहिए।

क्या चावल नेफ्रोटिक सिंड्रोम में खाना ठीक है - Kya chawal Nephrotic Syndrome mein khana theek hai?

आमतौर पर सुरक्षित होता है, खासकर अगर यह सादा और बिना नमक का हो।

आज के इस ब्लॉग में हमने आपको बताया कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग होने पर क्या नहीं खाना चाहिए। लेकिन आप सिर्फ़ ईन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको नेफ्रोटिक सिंड्रोम रोग है या ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेद के साथ।

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