हमारी बॉडी में किडनी एक बहुत ही अहम अंग हैं। ये न सिर्फ़ खून साफ करने का काम करती हैं, बल्कि बॉडी में पानी, नमक, मिनरल्स और ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने में भी ख़ास भूमिका निभाती हैं। लेकिन, यही किडनी जब सूज जाती है तो इसके काम में रुकावट आती है जिससे किडनी फेलियर तक की नौबत आ सकती है। इसलिए, ये ठीक से जान लेना चाहिए कि किडनी क्यों सूज जाती है? इसका असली कारण क्या है? ताकि रोगी को जल्द ही सही उपचार मिल सके। साथ ही इसके लक्षण और किडनी सूजन की आम जानकारी के बारे में पता होना चाहिए।
इस बीमारी को मेडिकल भाषा में नेफ्रैटिस या कुछ मामलों में हाइड्रोनफ्रोसिस कहते हैं जिसमें किडनी के टिश्यू में सूजन आ जाती है या किडनी के अंदर फ्लूड जमा हो जाता है। ऐसा तब होता है जब किडनी अपना नॉर्मल काम ठीक से नहीं कर पाती, और शरीर में पानी और टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं। इससे किडनी का साइज़ भी बड़ा हो जाता है।
बार-बार पेशाब का इन्फेक्शन (UTI) अगर वक़्त पर ठीक न किया जाए, तो वह किडनी तक पहुंच सकता है। ऐसे में तेज़ बुखार, कमर के निचले हिस्से में दर्द, पेशाब में जलन, बदबूदार या मटमैला पेशाब आदि लक्षण दिखाई देते हैं। ज़्यादा लंबे समय तक रहने वाला इंफेक्शन किडनी में सूजन पैदा कर सकता है।
जब किडनी के फिल्टर खराब हो जाते हैं, तो प्रोटीन पेशाब के रास्ते से बाहर निकलने लगता है। इससे बॉडी में पानी रुकने लगता है और किडनी पर एक्स्ट्रा दबाव पड़ता है। यह समस्या अक्सर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस जैसी सिरियस बीमारियों में देखी जाती है।
यह किडनी सूजने का सबसे आम कारण है। जब पेशाब ठीक से बाहर नहीं निकल पाता, तो वह किडनी में वापस जमा होने लगता है जिससे किडनी स्टोन (पथरी), पुरुषों में प्रोस्टेट का बढ़ना, यूरिनरी ट्रैक्ट में ट्यूमर, पेशाब की नली का सिकुड़न आदि दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसी कन्डिशन में किडनी पर प्रेशर बढ़ता है और वह सूजने लगती है।
आजकल यह रोग किडनी की बीमारियों का सबसे बड़ा कारण बन चुका है। लगातार बढ़ी हुई शुगर लेवल किडनी के फिल्टर को कमज़ोर कर देती है जिससे किडनी में सूजन, क्रिएटिनिन बढ़ना, किडनी फेलियर का खतरा बढ़ जाता है।
लंबे समय तक ब्लड प्रेशर कंट्रोल में न रहने से किडनी की रक्त नलिकाओं को नुकसान पहुंचता है। इससे किडनी खून को ठीक से फिल्टर नहीं कर पाती और सूजन की समस्या पैदा हो जाती है। हाई बी पी किडनी को खराब करता है और खराब किडनी बी पी को और ज़्यादा बढ़ा देती है। इस तरह यह एक खतरनाक चक्र बन जाता है।
कुछ बीमारियों में शरीर की इम्यून सिस्टम खुद किडनी पर हमला करने लगती है जिससे किडनी में सूजन और धीरे-धीरे किडनी फेलियर तक की नौबत आ सकती है।
कुछ दवाएं किडनी पर डायरेक्ट असर डालती हैं, ख़ासकर दर्द निवारक दवाएं, स्टेरॉयड्स और एंटीबायोटिक्स का लंबे वक़्त तक उपयोग। इनका इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के करना किडनी में सूजन का कारण बन सकता है।
आमतौर पर किडनी की सूजन में नीचे दिए गए ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं जो शुरुआत में हल्के हो सकते हैं, लेकिन वक़्त के साथ गंभीर हो जाते हैं –
आमतौर पर इस बीमारी में डॉक्टर द्वारा ये जांचें की जा सकती हैं:
हर बार नहीं होता, लेकिन इंफेक्शन या पथरी के कारण हुई सूजन में कमर या पीठ में तेज़ दर्द हो सकता है।
अगर वक़्त पर इलाज न हो, तो किडनी सूजन, किडनी फेलियर, डायलिसिस और हार्ट प्रॉब्लम तक पहुंच सकती है।
पेशाब झागदार, गाढ़ा, बदबूदार या कभी-कभी हल्का लाल भी हो सकता है।
कम नमक, हल्का खाना, लिमिटेड प्रोटीन और डॉक्टर की सलाह अनुसार डाइट लेना ज़रूरी होता है।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया कि किडनी क्यों सूज जाती है? इसका असली कारण क्या है? लेकिन, आप सिर्फ़ इस जानकारी या सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आप या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को किडनी में सूजन की समस्या है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से किडनी में सूजन का आयुर्वेदिक उपचार लें। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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