घुटनों में ग्रीस बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा – Ghutno Mein Grees Badhane Ki Ayurvedic Dawa
घुटनों में ग्रीस कम होने की समस्या क्या है – Ghutno mein grees kam hone ki samasya kya hai?
हमारे घुटनों के जोड़ों में एक ख़ास द्रव होता है जिसे श्लेष द्रव कहते हैं। मेडिकल भाषा में इस द्रव को सिनोवियल फ्लूइड कहा जाता है। यह गाढ़ा चिपचिपा तरल पदार्थ है जो हड्डियों के बीच चिकनाई बना कर रखता है। अगर यह कम हो जाए या सूख जाए तो हड्डियाँ आपस में रगड़ने लगती हैं और जोड़ों में दर्द, सूजन या अकड़न हो सकती है। इस दिक्कत को ऑस्टियोआर्थराइटिस या ‘घुटने का गठिया’ भी कहते हैं।
घुटनों में ग्रीस बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा इस समस्या का जड़ से इलाज कर सकती है, वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट्स के। लेकिन, पहले जान लेना चाहिए कि घुटने में ग्रीस की समस्या क्यों होती है।
घुटनों में ग्रीस कम होने के क्या कारण हैं – Ghutno mein grees kam hone ke kya karan hain?
- ऑस्टियोआर्थराइटिस: हमारे घुटनों में कार्टिलेज उपास्थि होती है। यह कनेक्टिव टिश्यू है जो हड्डियों के सिरों को कवर करता है। समय के साथ जब ये घिस जाता है तो घुटनों में दर्द होता है और इस रोग को ऑस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं।
- उम्र बढ़ना: उम्र के साथ, घुटनों में कार्टिलेज और सिनोवियल फ्लूइड बनना कम हो जाता है, जिससे ग्रीस कम हो जाती है।
- अधिक वजन: ज़्यादा वजन घुटनों पर प्रेशर डालता है, जिससे कार्टिलेज तेजी से घिस सकता है और सिनोवियल फ्लूइड कम हो सकता है।
- चोट: घुटने में चोट लगने से कार्टिलेज को नुकसान हो सकता है या सिनोवियल फ्लूइड बनना कम हो सकता है, जिससे ग्रीस कम हो सकती है।
- रूमेटाइड अर्थराइटिस: ये अर्थराइटिस का एक टाइप है जो घुटनों में ग्रीस कम होने का कारण हो सकता है।
घुटनों में ग्रीस बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा – Ghutno mein grees badhane ki ayurvedic dawa
- अश्वगंधा (Ashwagandha): यह वात दोष को बैलेंस करता है, सूजन और जोड़ों के दर्द में राहत देता है।
- शल्लकी (Boswellia Serrata): इससे जोड़ों के लुब्रिकेशन और गति में सुधार आता है। यह दवा सूजन और दर्द भी कम करती है।
- गुग्गुलु (Guggulu): इससे जोड़ों में लुब्रिकेशन सुधरता है, वात दोष कम होता है।
- महारास्नादि क्वाथ/काढ़ा: यह जोड़ों के दर्द और जकड़न में असरदार है। इसका रेगुलर सेवन करने से सूजन और ग्रीस की कमी में सुधार आता है।
- दशमूलारिष्ट: यह हड्डियों और जोड़ो को जोड़ने वाली मांसपेशी के लिए बहुत फायदेमंद दवा है।
- सोंठ के साथ हल्दी और मेथी: इन तीनों का मिश्रण जोड़ों की सूजन और दर्द में फायदेमंद होता है। इनका चूर्ण बनाकर गर्म दूध के साथ लिया जा सकता है।
- ऑयल मसाज (अभ्यंग): माहानारायण तेल, सैंडलवुड ऑयल, या निरगुंडी तेल से रेगुलर मालिश करने पर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और लुब्रिकेशन सुधरता है।
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क्या घुटनों की ग्रीस दोबारा बन सकती है – Kya ghutno ki grees dobara ban sakti hai?
हां, अगर घुटनों का घिसाव बहुत ज़्यादा न हुआ हो, तो बैलेंस्ड डाइट, सही औषधियाँ, एक्सरसाइज, और नियमित आयुर्वेदिक तेल मालिश से लुब्रिकेशन दोबारा बढ़ाया जा सकता है।
घुटनों में ग्रीस बढ़ाने के लिए कौन-सा तेल उपयोग करें – Ghutno mein grees badhane ke liye kaun-sa tel upyog karein?
माहानारायण तेल, निरगुंडी तेल और अश्वगंधा तेल से नियमित मालिश करें। ये ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाकर जोड़ों को पोषण देते हैं।
क्या घरेलू उपायों से घुटनों की ग्रीस बढ़ाई जा सकती है – Kya gharelu upayo se ghutno ki grees badhai jaa sakti hai?
हाँ। दूध के साथ हल्दी, मेथी और सोंठ का चूर्ण लेना, तिल का तेल खाना, गाय का घी, और हल्की योगासन करना लुब्रिकेशन सुधार सकते हैं।
घुटनों की ग्रीस बढ़ाने के लिए कौन-सा खाद्य पदार्थ खाएं – Ghutno ki grees badhane ke liye kaun-sa khadhy padarth khayein?
तिल, अलसी के बीज, अखरोट, गाय का घी, दूध, हरी सब्जियाँ, हल्दी और प्रोटीन वाली चीज़ें घुटनों की सेहत सुधारते हैं।
घुटनों में दर्द और ग्रीस की कमी के लिए कौन-सी एक्सरसाइज़ करें – Ghutno mein dard aur grees ki kami ke liye kaun-si exercise karein?
वज्रासन, त्रिकोणासन, पवनमुक्तासन, और हल्की साइक्लिंग या लेग रेज़ करने से लचीलापन बढ़ता है और ग्रीस बनना बढ़ता है।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको घुटनों में ग्रीस बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताया। लेकिन आप सिर्फ़ इस जानकारी या सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को घुटनों में ग्रीस की कमी है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।