इसका मतलब है शरीर से ज़हरीले तत्त्वों यानी टॉक्सिन्स को बाहर निकालना। आम तौर पर यह नेचुरली बॉडी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं जैसे लिवर, किडनी, पाचन तंत्र और त्वचा के माध्यम से होता है, लेकिन बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन के लिए कुछ ख़ास डाइट या पंचकर्म ट्रीटमेंट जैसी आयुर्वेदिक थेरपी भी अपनाई जाती है जिसका उद्देश्य शरीर को अंदर से साफ करके स्वस्थ रखना और बीमारियों से बचाना है। अच्छी सेहत और शरीर की शुद्धि के लिए ये जानकारी रखना ज़रूरी है कि “डिटॉक्स के लिए सबसे असरदार पंचकर्म ट्रीटमेंट कौन-सा है?”
‘पंच’ यानी पाँच और ‘कर्म’ यानी क्रियाएं। पंचकर्म ट्रीटमेंट में 5 ऐसी प्राकृतिक क्रियाएं होती हैं जो बॉडी से टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर तीनों दोषों – वात, पित्त और कफ को बैलेन्स करती है। वमन, विरेचन, बस्ती, नस्य और रक्तमोक्षण – ये पाँच ख़ास क्रियाएं पंचकर्म ट्रीटमेंट में शामिल हैं।
आयुर्वेद के हिसाब से बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए सबसे असरदार पंचकर्म विधि ‘विरेचन’ को माना गया है। इसे “नेचुरल आयुर्वेदिक डिटॉक्स थेरपी” भी कहा जाता है।
यह प्रक्रिया 3 चरणों में पूरी की जाती है –
इससे नीचे दिए गए ईन अंगों की सफाई होती है –
जिनका पित्त का बैलेन्स बिगड़ गया है, लीवर की समस्या है; स्किन एलर्जी, हार्मोनल डिसऑर्डर या टॉक्सिन जमाव की दिक्कत है, उनके लिए विरेचन बेस्ट है।
साल में एक बार या मौसम बदलने पर पंचकर्म करवाना सबसे अच्छा माना जाता है।
अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में किया जाए, तो यह पूरी तरह सुरक्षित होता है। गर्भवती महिलाएँ, ज़्यादा कमजोर व्यक्ति, या गंभीर रोगी बिना डॉक्टर की सलाह के पंचकर्म ना करवाएँ।
हाँ, ट्रीटमेंट के बाद शरीर हल्का महसूस होता है, थकान कम होती है और स्किन पर निखार आने लगता है।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया कि डिटॉक्स के लिए सबसे असरदार पंचकर्म ट्रीटमेंट कौन-सा है? लेकिन, आप सिर्फ़ इस जानकारी या सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आप या आपके कोई साथी/रिश्तेदार पंचकर्म ट्रीटमेंट लेना चाहते हैं तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से पंचकर्म ट्रीटमेंट ले सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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