नस्य पंचकर्म: साइनस, सिरदर्द और मानसिक तनाव के लिए रामबाण उपाय – Nasya Panchakarma: Sinus, Sirdard Aur Mansik Tanaav Ke Liye Ramban Upaay
क्या है नस्य पंचकर्म – Kya hai nasya panchakarma?
यह एक आयुर्वेदिक थेरपी है जिसमें नाक से औषधीय तेलों, घी, या पाउडर को डाला जाता है, जिससे ऊपरी श्वसन मार्ग और दिमाग के हिस्से को शुद्ध किया जाता है। यह पंचकर्म की पाँच ख़ास क्रियाओं में से एक है। नस्य पंचकर्म साइनस, सिरदर्द और मानसिक तनाव के लिए रामबाण उपाय है। इसलिए, इसकी विधि जानकर किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से नस्य कर्म ज़रूर करवाना चाहिए।
नस्य कर्म की प्रक्रिया – Nasya karma ki prakriya
इस कर्म की प्रक्रिया ईन 3 चरणों में पूरी होती है –
- उपचार की तैयारी; पूर्व कर्म: मुख्य कर्म शुरू करने से पहले रोगी को तैयार किया जाता है जिसमें नीचे दी गई 3 प्रक्रियाएं काम आती हैं:
- (a) अभ्यंग: इसमें रोगी के सिर, कंधे, गर्दन और चेहरे पर हल्के गुनगुने तिल तेल, अनुतैल, या नस्य तेल से 10-15 मिनट तक मालिश की जाती है।
- (b) स्वेदन: मालिश के बाद रोगी को हल्की भाप (स्टीम) दी जाती है ताकि रोमकूप खुल जाएं और शरीर ठीक से औषधि को सोख सके। यह भाप मीडियम तापमान पर 5-10 मिनट तक दी जाती है।
- (c) रोगी की कन्डिशन: रोगी को आरामदायक पलंग या मसाज टेबल पर लिटाकर सिर को थोड़ा पीछे झुकाया जाता है फिर आंखें बंद करके मन को शांत रखने को कहा जाता है।
- मुख्य प्रक्रिया; नस्य कर्म: इसमें नाक में औषधि डाली जाती है जिसका चयन रोग के अनुसार होता है। दवाई को हल्का गुनगुना किया जाता है फिर ड्रॉपर या छोटी कांच की नली से नाक के छेद में 2-6 बूंदें डाली जाती हैं; पहले दायें नथुने में, फिर बायें में। दवाई डालते ही रोगी को हल्की गहरी सांस लेनी होती है ताकि दवाई अंदर तक पहुंच सके।
- उपचार के बाद की देखरेख; पश्चात कर्म: नस्य कर्म के बाद कुछ सावधानियां रखनी होती हैं। थेरपी के 1-2 मिनट बाद रोगी को थूकने और हल्के से नाक साफ करने के लिए कहा जाता है। दवाई का स्वाद या कफ गले में जाने पर रोगी को गुनगुने पानी से कुल्ला करना चाहिए। नस्य के बाद रोगी को 10-15 मिनट शांत लेटेने की सलाह दी जाती है। ठंडी हवा, धूल या सीधे सूर्य के कॉन्टेक्ट में न आएँ।
साइनस, सिरदर्द और मानसिक तनाव के लिए नस्य कर्म क्यों है एक रामबाण उपाय – Sinus, sirdard aur maansik tanaav ke liye nasya karma kyon hai ek ramban upaay?
- साइनस में नस्य के फायदे: साइनस में नाक और माथे के अंदर कफ या म्यूकस जम जाता है। नस्य में डाला गया गुनगुना औषध तेल कफ को पिघलाकर बाहर निकाल देता है। यह नाक की सूजन कम करता है और साइनस कैविटी खुल जाती है।
- सिरदर्द में नस्य के फायदे: माइग्रेन या क्रॉनिक सिरदर्द अक्सर स्ट्रेस, कफ जमा होने, नसों में सूजन या ब्लड सर्कुलेशन की रुकावट से होता है। नस्य से दिमाग के हिस्सों तक दवाई पहुँचती है। यह सिर की नसों को शिथिल करता है और ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है। कफ और वात दोष बैलेन्स करके यह सिरदर्द में राहत देता है।
- मानसिक तनाव में नस्य के फायदे: स्ट्रेस या चिंता के कारण दिमाग के नर्वस सिस्टम का बैलेन्स बिगड़ जाता है। नस्य द्वारा दिमाग में पहुंचाई गई दवाएँ न्यूरोट्रांसमीटरों को बैलेन्स करती है। इससे मन शांत होता है, नींद सुधरती है, और स्ट्रेस हार्मोन (Cortisol) कम होते हैं।
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FAQs
नस्य के लिए कौन सा तेल सबसे अच्छा है – Nasya ke liye kaun sa tel sabse accha hai?
अनुतैल, शदबिंदु तेल, ब्राह्मी तेल और त्रिफला घृत नस्य के लिए बेस्ट माने जाते हैं, रोग के हिसाब से इनका चयन किया जाता है।
नस्य कब करना चाहिए – Nasya kab karna chahiye?
सुबह खाली पेट या शाम को सोने से पहले नस्य करना सबसे उचित होता है।
क्या नस्य के कोई दुष्प्रभाव हैं – Kya nasya ke koi dushprabhav hain?
अगर सही मात्रा और समय पर किया जाए तो नस्य के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते। लेकिन, गलत तापमान या ज़्यादा मात्रा में करने से जलन या छींक आ सकती है।
साइनस रोगियों के लिए कौन सा नस्य तेल बेहतर है – Sinus rogiyo ke liye kaun sa nasya tel behtar hai?
शदबिंदु तेल और अनुतैल साइनस में जमा कफ को निकालने के लिए सबसे उपयोगी होते हैं।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया कि नस्य पंचकर्म साइनस, सिरदर्द और मानसिक तनाव के लिए रामबाण उपाय है। लेकिन, आप सिर्फ़ इस जानकारी या सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आप या आपके कोई साथी/रिश्तेदार नस्य थेरेपी लेना चाहते हैं तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें। आप चाहें तो हमारे ‘कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल’ में भी पूछताछ करके वहाँ दी जाने वाली आयुर्वेदिक पंचकर्म थेरपी, भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से ले सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।