इस बीमारी को जोड़ों की बीमारी कहा जाता है, जिसके ज़्यादातर मामले महिलाओं में पाए जाते हैं क्योंकि पुरुष की तुलना में महिलाओं के जोड़ों में घिसाव ज़्यादा होता है। इस बीमारी को गठिया भी कहा जाता है जिसका उपचार न होने पर जोड़ों को भारी नुकसान हो सकता है, चलना-फिरना पूरी तरह बंद भी हो सकता है। इसलिए, ये समझना ज़रूरी है कि महिलाओं में आर्थराइटिस ज्यादा क्यों पाया जाता है, ताकि कारण जानकर समय रहते उपचार किया जा सके। आप चाहें तो कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल से भी आर्थराइटिस का प्राकृतिक उपचार ले सकते हैं लेकिन, पहले बीमारी की ठीक से पहचान कर लें जिसकी जानकारी नीचे दी गई है।
महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन, हड्डियों और जोड़ों की सुरक्षा करता है, सूजन को कंट्रोल करता है। मेनोपॉज़ के बाद एस्ट्रोजन कम हो जाता है, जिससे जोड़ों की कार्टिलेज कमजोर पड़ती है, सूजन और दर्द बढ़ने लगता है।
महिलाओं का इम्यून सिस्टम ज़्यादा ऐक्टिव होता है। कभी-कभी इम्यून सिस्टम खुद जोड़ों पर हमला करने लगता है। इसी वजह से रूमेटॉइड आर्थराइटिस महिलाओं में 2-3 गुना ज़्यादा पाया जाता है।
महिलाओं की हड्डियाँ, पुरुषों की तुलना में ज़्यादा पतली होती हैं, घुटनों और कूल्हों की बनावट अलग होती है। इससे जोड़ों पर ज़्यादा प्रेशर पड़ता है और घुटनों का आर्थराइटिस जल्दी पैदा होता है।
महिलाओं में अक्सर कैल्शियम, विटामिन D की कमी पाई जाती है, जिससे हड्डियाँ कमज़ोर होती हैं, जोड़ों में दर्द और जकड़न बढ़ती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ता है और हार्मोन बदलते हैं। इससे घुटनों और कमर के जोड़ों पर प्रेशर पड़ता है और भविष्य में आर्थराइटिस का खतरा रहता है।
PCOS, थायरॉइड जैसी समस्याओं से वजन बढ़ता है। मोटापा जोड़ों पर ज़्यादा प्रेशर डालता है। घुटनों का आर्थराइटिस महिलाओं में आम है।
झाड़ू-पोछा, ज़मीन पर बैठकर काम, बार-बार झुकना, ये सब लंबे समय में जोड़ों को घिसते हैं।
महिलाओं में मेंटल स्ट्रेस ज़्यादा होता है, हार्मोन का असंतुलन बना रहता है। इस वजह से सूजन बढ़ती है और दर्द ज़्यादा महसूस होता है।
यह जोड़ों की हड्डियों के बीच की कार्टिलेज घिसने से होने वाला रोग है, इसमें घुटनों, कूल्हों या हाथों में दर्द और जकड़न होती है।
यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें इम्यून सिस्टम जोड़ों पर हमला करता है। इसमें सूजन और दर्द होता है, जोड़ धीरे-धीरे खराब होते हैं।
सोरायसिस त्वचा रोग से जुड़ा आर्थराइटिस है, जिसमें स्किन के साथ-साथ जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न होती है।
अक्सर 35 साल के बाद, और मेनोपॉज़ के बाद इसका जोखिम और बढ़ जाता है।
ऐसा वात दोष के बढ़ने और अस्थि धातु की कमजोरी के कारण होता है।
समय पर इलाज, हार्मोन संतुलन, सही डाइट और रेगुलर हल्का व्यायाम।
विटामिन D की कमी से हड्डियों में दर्द, सूजन और जकड़न बढ़ती है।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया कि महिलाओं में आर्थराइटिस ज्यादा क्यों पाया जाता है? लेकिन, आप सिर्फ़ इस जानकारी या सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आप या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को आर्थराइटिस की समस्या है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक उपचार लेकर जोड़ों की दिक्कत दूर करें। यहाँ आपको उपचार के साथ-साथ आर्थराइटिस के लिए हेल्दी डाइट चार्ट और ज़रूरी परामर्श भी दिया जाएगा। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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