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आजकल के बदलते खान-पान और जीवनशैली के कारण किडनी से जुड़ी समस्याएं आम होती जा रही हैं। इन्हीं में से एक समस्या है – यूरिन में प्रोटीन आना (Protein in Urine), जिसे प्रोटीन्यूरिया (Proteinuria) कहा जाता है। अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो किडनी पर बुरा असर कर सकती है। इसलिए ये जानना बहुत ज़रूरी है कि यूरिन में प्रोटीन आने का आयुर्वेदिक उपचार क्या है। लेकिन इससे पहले प्रोटीन्यूरिया के बारे में कुछ ज़रूरी जानकारियाँ लेनी चाहिए जो नीचे दी गयी हैं।
जब हमारी किडनियां स्वस्थ होती हैं, तो वे ब्लड से ज़हरीले तत्वों और एक्स्ट्रा पानी को छानकर यूरिन के माध्यम से बाहर निकालती हैं, लेकिन जरूरी न्यूट्रीशन जैसे प्रोटीन को वापस शरीर में भेज देती हैं। लेकिन जब किडनी में सूजन या कमजोरी आ जाती है, तो प्रोटीन भी यूरिन के साथ बाहर निकलने लगता है। यही स्थिति प्रोटीन्यूरिया कहलाती है।
शुरुआती दौर में इस बीमारी के कोई क्लियर लक्षण नहीं होते, लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ती है, कुछ संकेत दिखने लगते हैं, जैसे;
ईन लक्षणों से इस रोग की पहचान करके यूरिन में प्रोटीन आने का आयुर्वेदिक तरीकों से उपचार किया जा सकता है, जिसके बारे में नीचे जानकारी दी गयी है।
1. गोक्षुरादी गुग्गुलु (Gokshuradi Guggulu) : यह एक ख़ास आयुर्वेदिक दवा है जो सूजन कम करती है और पेशाब के माध्यम से ज़हरीले तत्वों को बाहर निकालती है। यह पेशाब की जलन, झाग और प्रोटीन के रिसाव को कम करने में सहायक है। इसे डॉक्टर की सलाह से दिन में दो बार गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है।
2. चंद्रप्रभावटी (Chandraprabha Vati) : इसमें कई औषधीय जड़ी-बूटियां होती हैं जैसे गुग्गुलु, हरिद्रा, वचा आदि जो किडनी को डिटॉक्स करती हैं। इसकी 1-2 गोली दिन में दो बार, भोजन के बाद ले सकते हैं।
3. वरुणादि क्वाथ (Varunadi Kwath) : वरुण, पुनर्नवा, गिलोय जैसे घटकों से बना यह काढ़ा किडनी की सूजन, जलन और प्रोटीन के रिसाव को कम करने में उपयोगी है। 20-30 ml क्वाथ को पानी में मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें।
4. पुनर्नवा मंडूर (Punarnava Mandur) : यह किडनी की सूजन और पानी रुकने की समस्या में लाभकारी है। शरीर से एक्स्ट्रा लिक्विड को निकालता है और यूरिन में प्रोटीन की मात्रा को कंट्रोल करता है।
5. गुड़मार (Gymnema Sylvestre) : यह जड़ी-बूटी डायबिटीज कंट्रोल करने में सहायक है, जिससे किडनी पर लोड कम होता है और प्रोटीन रिसाव रुकता है।
यूरिन में प्रोटीन के आयुर्वेदिक उपचार से जुड़े कुछ और भी ज़रूरी सवाल और जानकारियाँ नीचे दी गयी हैं जो प्रोटीन्यूरिया रोगी को फायदा पहुंचा सकती है।
पुनर्नवा का रस, गिलोय का काढ़ा, नीम, तुलसी और नारियल पानी - इनका सेवन करने से यूरिन में प्रोटीन का घरेलू इलाज किया जा सकता है।
हाँ, कुछ मामलों में प्रोटीन यूरिन बिना दवा के ठीक हो सकता है। कुछ स्थितियों में, प्रोटीन यूरिन का होना अस्थायी या हल्का हो सकता है, जो बिना उपचार के अपने आप ठीक हो जाता है।
इस रोग में लीन प्रोटीन, ओमेगा-3, फाइबर, क्रैनबेरी जूस, दही, नारियल पानी, फल-सब्जियां और साबुत अनाज खाएं। कैफीन वाली चीज़ें, शराब, मसालेदार भोजन, सिट्रस फल, शक्कर और मिठाइयां, प्रोसेस्ड फूड, लाल मांस, डेयरी उत्पाद, बहुत ज़्यादा प्रोटीन, पोटेशियम और मैग्नीशियम से भरपूर चीज़ें - ईन चीज़ों को आम तौर पर नहीं खाना चाहिए।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको यूरिन में प्रोटीन आने का आयुर्वेदिक उपचार बताया। लेकिन आप सिर्फ़ ईन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी दोस्त/रिश्तेदार को यूरिन में प्रोटीन आने की समस्या है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेद के साथ।
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