सोरायसिस एक पुराना त्वचा रोग है, जिसमें स्किन पर लाल चकत्ते, सफेद पपड़ी, खुजली, जलन और सूखापन हो जाता है। यह नॉर्मल सी दिखने वाली बीमारी असल में बहुत गंभीर होती है और कई बार व्यक्ति अपना आत्म-विश्वास भी खो देता है। दवाओं के अलावा इस बीमारी में रोज़ की छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है। इसलिए अक्सर सोरायसिस से पीड़ित लोगों का ये सवाल होता है कि सोरायसिस में गर्म पानी नुकसान करता है क्या? कुछ लोगों को इस बारे में तरह-तरह के भ्रम भी होते हैं जिनको दूर करना बहुत ज़रूर होता है।
यह बीमारी एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसमें बॉडी का इम्यून सिस्टम स्किन की कोशिकाओं को नॉर्मल से कई गुना तेज़ बनाने लगता है। वैसे तो नॉर्मल त्वचा कोशिकाएं बनने में 25 से 30 दिन लगते हैं, लेकिन सोरायसिस में यह प्रोसेस 3 से 4 दिन में ही पूरी हो जाती है। इस वजह से त्वचा पर मोटी पपड़ी, लालपन और सूजन दिखाई देती है।
इस बीमारी में स्किन की नेचुरल नमी पहले से ही कमज़ोर हो जाती है। इस कारण स्किन जल्दी सूख जाती है और हल्की चीज़ों से भी जलन होने लगती है। ऐसे में तापमान का असर ज़्यादा महसूस होता है। इसी वजह से सोरायसिस में नहाने के पानी के तापमान का ध्यान रखना बहुत ख़ास हो जाता है।
नीचे दिए गए बिंदुओं से पता चलता है कि सोरायसिस में गर्म पानी किस प्रकार नुकसान करता है –
गर्म पानी स्किन से नेचुरल तेल हटा देता है। सोरायसिस में त्वचा पहले से ही सूखी होती है, ऐसे में गर्म पानी सूखापन बढ़ाता है, पपड़ी को और सख्त बना देता है, खुजली बढ़ा देता है।
गर्म पानी स्किन की नसों को ट्रिगर करता है, जिससे तेज़ खुजली, जलन और चुभन की दिक्कतें बढ़ सकती है, ख़ासकर नहाने के बाद।
सोरायसिस की बीमारी में सूजन होती है। बहुत गर्म पानी स्किन में ब्लड सर्कुलेशन अचानक बढ़ा देता है जिससे लालपन और सूजन और बढ़ सकती है।
लगातार गर्म पानी से नहाने पर सोरायसिस अचानक से भड़क सकता है।
अक्सर लोगों को ये लगता है कि गर्म पानी से आराम मिलता है जो कि पूरी तरह गलत नहीं है। हल्का गुनगुना पानी अक्सर फायदेमंद हो सकता है क्योंकि पपड़ी थोड़ी नरम हो जाती है, स्किन साफ करने में आसानी होती है और कुछ लोगों को थोड़े टाइम के लिए आराम महसूस होता है। लेकिन यह फायदा बहुत लिमिटेड टाइम के लिए होता है। अगर पानी ज़्यादा गर्म हो गया, तो फायदे के बजाय नुकसान ज़्यादा हो सकता है। ऐसे में सबसे अच्छा ऑप्शन है – नॉर्मल तापमान वाला या हल्का गुनगुना पानी। बहुत ज़्यादा गर्म पानी और भाप वाले स्नान से बचना चाहिए।
10 से 15 मिनट से ज़्यादा न नहाएं। लंबे टाइम तक पानी में रहने से स्किन और सूख जाती है।
तेज़ खुशबू वाले साबुन से बचें, केमिकल वाला बॉडी वॉश न लें। नहाने के लिए माइल्ड और मॉइस्चराइज़िंग क्लींजर बेहतर होते हैं।
नहाने के बाद तौलिये से स्किन को हल्के हाथ से थपथपाकर सुखाएं। रगड़ने से पपड़ी टूट सकती है और खून भी आ सकता है।
नहाने के 3 से 5 मिनट के अंदर ही नारियल तेल, एलोवेरा जेल या डॉक्टर द्वारा सुझाया गया मॉइस्चराइज़र लगाना बहुत ज़रूरी है।
सर्दियों में हवा ड्राय होती है, स्किन की नमी जल्दी उड़ती है। इसलिए, सर्दियों में भी ज़्यादा गर्म पानी का इस्तेमाल न करें।
ज़्यादा ठंडा पानी भी सही नहीं होता, क्योंकि इससे स्किन में झटका लगता है और स्किन असहज हो जाती है।
हाँ, भाप से स्किन और ज़्यादा सूख सकती है और जलन बढ़ सकती है।
आयुर्वेद के हिसाब से ज़्यादा गर्म पानी पित्त दोष बढ़ाता है, जिससे सोरायसिस के लक्षण बिगड़ सकते हैं।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया कि सोरायसिस में गर्म पानी नुकसान करता है क्या? लेकिन, आप सिर्फ़ इस जानकारी या सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आप या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को सोरायसिस की समस्या है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से सोरायसिस का आयुर्वेदिक उपचार लें। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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