पार्किंसन रोग (Parkinson's Disease) एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो धीरे-धीरे दिमाग के उस हिस्से पर असर डालता है जो शरीर की एक्टिविटी को कंट्रोल करता है। इसलिए ये सवाल अक्सर पूछा जाता है कि क्या पार्किंसन रिवर्स हो सकता है? - जिसके बारे में डिटेल में पूरी जानकारी नीचे दी गयी है।
पार्किंसन एक प्रोग्रेसिव न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसका मतलब है कि यह समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती है। इसमें दिमाग में मौजूद डोपामिन नामक केमिकल का लेवल कम हो जाता है। डोपामिन नर्व सेल्स के बीच मेसेज पहुंचाने में मदद करता है और शरीर की एक्टिविटी को कंट्रोल करता है।
डोपामिन की कमी के कारण शरीर की एक्टिविटी बिगड़ जाती है, जैसे – हाथ कांपना (tremors), चाल में बदलाव, बोलने में कठिनाई और बैलेंस की समस्या।
आज की मॉडर्न साइंस के अनुसार, पार्किंसन को पूरी तरह रिवर्स नहीं किया जा सकता है। हालांकि, इसकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है, और लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति लंबे समय तक एक सामान्य जीवन जी सकता है।
विज्ञान और चिकित्सा में हो रहे नए शोध, दवाइयाँ, थेरेपी, डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव पार्किंसन के लक्षणों को काफी हद तक सुधार सकते हैं। ईन लक्षणों की जानकारी नीचे दी गयी है ताकि इन्हें सुधारने में मदद मिल सके।
ईन दवाओं से लक्षणों में काफी हद तक सुधार होता है, लेकिन ये रोग को जड़ से खत्म नहीं कर सकतीं –
याद रखें - ईन दवाओं को डॉक्टर की सलाह के साथ ही लें।
यह एक सर्जिकल प्रोसेस है जिसमें दिमाग में एक डिवाइस लगाया जाता है जो इलेक्ट्रिकल सिग्नल के जरिए लक्षणों को कंट्रोल करता है। यह उन मरीजों में उपयोगी होता है जिनमें दवाएं असर करना बंद कर देती हैं।
रोज़ एक्सरसाइज, जैसे – योग, वॉकिंग, स्ट्रेचिंग और डांस करना चाहिए। इससे मांसपेशियों में लचीलापन आता है, बैलेंस सुधरता है और मूड बेहतर होता है।
पार्किन्सन में डाइट ऐसी होनी चाहिए;
काउंसलिंग और ध्यान करें। परिवार का सहयोग होना बहुत ज़रूरी है। साथ ही डिप्रेशन और स्ट्रेस कंट्रोल करें।
कुछ ख़ास आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी और कपिकच्छु (Mucuna pruriens) पार्किंसन के लक्षणों में सुधर ला सकती हैं। लेकिन ध्यान रहे, आयुर्वेदिक दवाएं केवल किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लें।
पार्किंसन के इलाज के अलावा इस बीमारी से जुड़े कुछ ज़रूरी सवाल और जानकारियाँ नीचे दी गयीं हैं जो रोगी को फायदा पहुंचा सकती हैं।
हां, यह एक लम्बे टाइम तक चलने वाली बीमारी है, इसलिए दवाएं लंबे समय तक लेनी पड़ सकती हैं। लेकिन डॉक्टर समय-समय पर दवाओं की मात्रा और प्रकार में बदलाव करते रहते हैं।
अगर सही समय पर इलाज और देखभाल मिले तो पार्किंसन रोगी सामान्य से थोड़े कम जीवनकाल के साथ अच्छी क्वालिटी वाला जीवन जी सकते हैं।
पार्किंसन रोग सीधे जानलेवा नहीं है, लेकिन इससे जुड़ी जटिलताएं लोगों की जीवन अवधि को कम कर सकती हैं।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया कि क्या पार्किंसन रिवर्स हो सकता है। लेकिन आप सिर्फ़ ईन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को पार्किंसन की समस्या है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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