पार्किंसन रोग एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो ख़ासकर दिमाग के उस हिस्से पर असर डालती है जो गति और बैलेंस को कंट्रोल करता है। पार्किंसन के लक्षणों को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन लाइफस्टाइल में कुछ परहेज अपनाकर इसके असर को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। इसलिए इसकी जानकारी लेना ज़रूरी है कि पार्किंसन की बीमारी में क्या परहेज करें।
जीवन के अलग-अलग हिस्सों के लिए अलग-अलग परहेज़ दिए गए हैं जो इस प्रकार हैं-
ज़्यादा प्रोटीन से परहेज: पार्किंसन की दवाएं, ख़ासकर Levodopa, शरीर में डोपामिन का लेवल बढ़ाने का काम करती हैं। लेकिन ज्यादा प्रोटीन वाला खाना Levodopa के असर को कम कर सकता है। इसलिए, दिन में प्रोटीन का सेवन लिमिटेड करें। प्रोटीन का सेवन शाम को करें जब दवा का असर कम हो रहा हो।
प्रोसेस्ड और फास्ट फूड से परहेज: फास्ट फूड, पैकेज्ड स्नैक्स और ज़्यादा नमक/चीनी वाला खाना न्यूरोलॉजिकल सेहत के लिए नुकसानदायक होते हैं। इसलिए, ताजा और घर का बना खाना खाएं। फाइबर से भरपूर फल-सब्जियां जैसे पालक, गाजर, सेब, संतरा आदि खाएं।
कैफीन और शराब से दूरी: ज़्यादा कैफीन और शराब से कंपन, अनिद्रा और ब्लड प्रेशर बिगड़ने जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। कैफीन (चाय, कॉफी) का लिमिटेड सेवन करें। शराब और धूम्रपान पूरी तरह बंद करें।
पार्किंसन रोग में गति की कमी, बैलेंस में गड़बड़ी और मांसपेशियों में जकड़न आम लक्षण होते हैं। ऐसे में खतरनाक व्यायाम मरीज को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
असंतुलित व्यायाम से परहेज: कठिन योगासन, भारी जिम वर्कआउट या तेज दौड़ से गिरने का खतरा होता है। धीमी और संतुलित एक्टिविटी जैसे वॉकिंग, स्ट्रेचिंग और ताई ची करें। एक्सरसाइज करते समय पास में सहारा (दीवार, स्टिक) रखें।
लम्बे टाइम तक एक ही पोजीशन में न रहें: एक ही पोजीशन में घंटों बैठना या लेटना जकड़न और दर्द बढ़ा सकता है। हर 30-40 मिनट में शरीर को थोड़ा हिलाएं। मांसपेशियों को लचीला रखने के लिए हल्के स्ट्रेच करें।
पार्किंसन न सिर्फ शरीर पर असर डालता है बल्कि मानसिक स्थिति को भी कमजोर करता है। चिंता, डिप्रेशन और नींद की समस्या इस बीमारी में आम हैं।
स्ट्रेस से परहेज: तनाव से डोपामिन का लेवल और गिर सकता है जिससे लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। मेडिटेशन, प्राणायाम और संगीत थेरेपी अपनाएं। परिवार और दोस्तों से इमोशनल सपोर्ट लें।
देर रात तक जागने की आदत छोड़ें: नींद की कमी से थकान और कंपन बढ़ सकता है। सोने का समय फिक्स करें। सोने से पहले मोबाइल/टीवी से दूरी बनाएं।
पार्किंसन के इलाज में सबसे इम्पोर्टेन्ट होती हैं - दवाएं। लेकिन कुछ गलतियां दवा के असर को घटा सकती हैं।
दवा समय पर न लेना: दवा समय पर न लेने से शरीर में डोपामिन का लेवल बिगड़ जाता है। डॉक्टर के बताए समय पर ही दवा लें। अलार्म या रिमाइंडर का इस्तेमाल करें।
खुद से दवा बंद करना या बदलना: कई लोग दवा के साइड इफेक्ट्स देखकर उसे खुद से बंद कर देते हैं, जिससे स्थिति और खराब हो जाती है। कोई भी बदलाव डॉक्टर की सलाह के बिना न करें। साइड इफेक्ट्स होने पर तुरंत डॉक्टर को बताएं।
परहेज़ के अलावा पार्किन्सन की बीमारी से जुड़े कुछ ज़रूरी सवाल और जानकारियाँ नीचे दी गयी हैं जो रोगी को फायदा पहुंचा सकती है।
दूध पी सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों को दूध से एलर्जी हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही दूध का सेवन करें।
यदि लक्षण हल्के हैं और रिएक्शन समय नॉर्मल है तो डॉक्टर की सलाह से लिमिटेड ड्राइविंग की जा सकती है। लेकिन हाथ-पैर कांपना, ध्यान की कमी या स्लो रिएक्शन होने पर ड्राइविंग टालनी चाहिए।
दवाएं ज़रूरी हैं लेकिन केवल दवाओं से नहीं। सही डाइट, एक्सरसाइज, मेंटल बैलेंस और सामाजिक सपोर्ट भी इम्पोर्टेन्ट हैं।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया कि पार्किंसन की बीमारी में क्या परहेज करें। लेकिन आप सिर्फ़ ईन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को पार्किंसन की समस्या है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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