पार्किंसन रोग की दवाएं - कर्मा आयुर्वेदा

पार्किंसन रोग व्यक्ति के चलने-फिरने, बोलने, बैलेंस बनाए रखने और चेहरे के हावभाव तक पर असर डालता है। वैसे, इसका कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन दवाओं और थेरेपी की मदद से इसके लक्षणों को काफ़ी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। इसलिए इसके बारे में पता होना चाहिए कि पार्किंसन रोग की दवाएं कौनसी हैं। लेकिन पहले इस रोग के बारे में आम जानकारी लेनी चाहिए जो नीचे दी गयी है।

पार्किंसन रोग क्या है और क्यों होता है - Parkinson Rog kya hai aur kyon hota hai?

यह एक प्रगतिशील न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका तंत्र से जुड़ा) रोग है, जो दिमाग में डोपामिन नाम के केमिकल की कमी के कारण होता है। डोपामिन शरीर को चिकनाई देता है और बैलेंस बनाकर चलने में मदद करता है। इसकी कमी से शरीर में कंपन, जकड़न और एक्टिविटी में कमी जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।

🌿 Talk to Our Ayurvedic Expert Now – Get A Expert Consultation.
Delaying Treatment Can Worsen Your Condition.
👉 Call Now And Change Your Life

 

 

पार्किंसन रोग की दवाएं - Parkinson Rog ki Dawayein

 

 

पार्किंसन के लिए दी जाने वाली दवाएं ख़ासकर डोपामिन को बढ़ाने, उसकी नकल करने या उसके टूटने को रोकने का काम करती हैं। ये दवाइयां इस प्रकार हैं –

1. लेवोडोपा + कार्बिडोपा (Levodopa + Carbidopa)

लेवोडोपा शरीर में जाकर डोपामिन में बदल जाती है, और कार्बिडोपा उसकी समयपूर्व टूट-फूट को रोकती है। यह कंपन, जकड़न और धीमी गति में तेज़ राहत देती है। मतली, चक्कर, ब्लड प्रेशर में गिरावट और लंबे समय तक उपयोग पर डिस्काइनेसिया यानी अकंट्रोल हरकतें – इसके साइड इफेक्ट्स हैं।

2. डोपामिन एगोनिस्ट्स (Dopamine Agonists)

ये दवाएं डोपामिन की नकल करती हैं और दिमाग में डोपामिन रिसेप्टर्स को एक्टिव करती हैं। लक्षण अगर हलके हो तो यह दवा असरदार है। इसके साइड इफेक्ट्स हैं – नींद की ज़्यादा इच्छा, मतिभ्रम या भ्रम की स्थिति और जुआ, ज़्यादा खरीदारी जैसे व्यवहार से जुड़े बदलाव।

3. एमएओ-बी इन्हिबिटर्स (MAO-B Inhibitors)

ये एंजाइम को ब्लॉक करते हैं जो डोपामिन को तोड़ते हैं, जिससे दिमाग में डोपामिन की मात्रा बनी रहती है। इस दवा से शुरुआती अवस्था में लक्षणों में लाभ होता है और यह लेवोडोपा की खुराक घटाने में मददगार है। साइड इफेक्ट्स: सिरदर्द, अनिद्रा और अन्य दवाओं से रिएक्शन।

4. सीओएमटी इन्हिबिटर्स (COMT Inhibitors)

ये दवाएं लेवोडोपा के असर को बढ़ाती हैं और उसे ज़्यादा समय तक काम करने देती हैं। साइड इफेक्ट्स: दस्त, लीवर पर असर खासकर Tolcapone.

5. एंटीकोलीनर्जिक्स (Anticholinergics)

ये दवाएं दिमाग में एसीटाइलकोलीन के असर को घटाकर बैलेंस बनाती हैं। कंपन (Tremor) पर ख़ासकर फायदा करती है। याददाश्त की कमजोरी, भ्रम, मुंह सूखना और कब्ज इसके साइड इफेक्ट्स हैं।

6. एमैंटाडीन (Amantadine)

यह मध्यम रूप से लक्षणों को कम करता है, ख़ासकर डिस्काइनेसिया को। शुरुआती लक्षणों में उपयोगी, लेवोडोपा से होने वाली हरकतों को कम करता है। इसके साइड इफेक्ट्स हैं – पैरों में सूजन और नीली चमड़ी (Livedo reticularis)

ध्यान रखें, बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा ना लें और डाइट में प्रोटीन की मात्रा बैलेंस्ड रखें, क्योंकि प्रोटीन से कुछ दवाओं का असर ठीक से नहीं हो पता।

पार्किन्सन में थेरेपी - Parkinson mein Therepy

पार्किंसन की दवाओं के साथ यदि फिजियोथेरेपी, वाक थेरेपी, और मेंटल सपोर्ट मिल जाए तो बेहतर रिजल्ट मिलते हैं। रोगी को एक्सरसाइज, बैलेंस्ड डाइट और अच्छी नींद पर ध्यान देना चाहिए।

📝 Share Your Health Problem With Us Now - Fill Out the Form Below and Take the First Step Toward Healing.
Enquiry Now

 

 

पार्किंसन के इलाज के अलावा कुछ जरुरी सवाल और जानकारियाँ नीचे दी गयी हैं जो रोगी को बहुत फायदा पहुंचा सकती हैं।

 

 

क्या पार्किंसन रोग की दवाएं जीवनभर लेनी पड़ती हैं - Kya Parkinson Rog ki Dawaayein Jivanbhar leni padti hain?

हां, लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए दवाएं आमतौर पर जीवनभर लेनी पड़ती हैं। हालांकि समय-समय पर खुराक या दवाओं का प्रकार बदला जा सकता है।

क्या पार्किंसन की दवाएं दिमाग पर असर डालती हैं - Kya Parkinson ki Dawayein deemag par asar dalti hain?

कुछ दवाएं जैसे Dopamine Agonists और Anticholinergics मानसिक भ्रम, नींद में बदलाव या व्यवहार से जुड़े बदलाव कर सकती हैं। इसलिए इन्हें डॉक्टर की निगरानी में ही लें।

पार्किंसन रोग की सबसे असरदार दवा कौनसी है - Parkinson Rog ki sabse asardar dawa kaunsi hai?

Levodopa + Carbidopa को सबसे असरदार माना जाता है, खासकर शुरुआती और मध्यम लक्षणों में।

क्या आयुर्वेद या घरेलू उपाय से पार्किंसन ठीक हो सकता है - Kya Ayurved ya Gharelu upay se Parkinson theek ho sakta hai?

पूरी तरह नहीं, लेकिन आयुर्वेदिक सपोर्ट, जैसे अश्वगंधा, ब्राह्मी या रोज़ योग/प्राणायाम से रोग की प्रगति धीमी की जा सकती है। मगर दवाएं बंद करना ठीक नहीं।

आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको पार्किंसन रोग की दवाएं बतायी। लेकिन आप सिर्फ़ ईन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को पार्किंसन की समस्या है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।

Web Stories

Location:

Second Floor, 77, Block C, Tarun Enclave, Pitampura, New Delhi, Delhi, 110034