पेट की गर्मी को आयुर्वेद में अम्लपित्त कहा गया है। यह तब होती है जब पित्त दोष ज़्यादा एक्टिव हो जाता है। पित्त शरीर में डाईजेशन (अग्नि) को कंट्रोल करता है। जब इसका बैलेंस बिगड़ जाता है, तो पेट में ज़्यादा एसिड बन जाता है, जिससे पेट जलन, एसिडिटी आदि महसूस होता है। आमतौर पर अंग्रेजी दवाओं के साइड इफेक्ट्स होते हैं इसलिए पेट की गर्मी के लिए आयुर्वेदिक दवा इस समस्या का उपचार करने का बहुत ही सही रास्ता है। लेकिन पहले पेट की गर्मी के कारण जान लेने चाहिए जो इस प्रकार हैं–
आयुर्वेद में पेट की गर्मी का उपचार करने के लिए ईन आयुर्वेदिक दवाओं और तरीकों का उपयोग किया जाता है –
खीरा, नारियल पानी, पुदीना, दही/छाछ, हल्का भोजन, उबले अनाज, कम मसाले वाले आहार लें। रोज़ तय समय पर भोजन करें। तली, तीखी, अम्लीय, प्रोसेस्ड चीज़ें और सोडा, चाय-कॉफी से परहेज करें।
घरेलू उपयोग के लिए जीरा, फेनल, आंवला, मुलेठी, त्रिफला आदि का अलग-अलग इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अगर लक्षण स्थाई हो या सीरियस लगें, तो अविपत्तिकर चूर्ण जैसी मिश्रित दवाई असरदार हो सकती है।
पेट में जलन और गर्मी से तुरंत राहत पाने के लिए, आप ठंडा दूध या नारियल पानी पी सकते हैं, या फिर खीरा, तरबूज, या दही जैसी ठंडी चीज़ों का सेवन कर सकते हैं।
सबसे असरदार इलाज में सौंफ, जीरा, धनिया और पुदीना का सेवन शामिल है। साथ ही ठंडा दूध, खीरा, तरबूज, दही, और केला भी मददगार हैं।
हाँ, खासकर अगर यह गर्मी पाचन से जुड़ी समस्याओं जैसे कब्ज या एसिडिटी के कारण हो।
आज के इस ब्लॉग में हमने आपको पेट की गर्मी के लिए आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताया। लेकिन आप सिर्फ इन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर समस्या गंभीर है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में विशेषज्ञ से परामर्श लें।
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