रक्तमोक्षण पंचकर्म क्या है? त्वचा रोगों में कैसे देता है राहत

रक्तमोक्षण पंचकर्म क्या है? त्वचा रोगों में कैसे देता है राहत – Raktmoshan Panchakarma Kya Hai? Tvacha Rogo Mein Kaise Deta Hai Raahat

खून को साफ करने की आयुर्वेदिक थेरपी; रक्तमोक्षण – Khoon ko saaf karne ki ayurvedic therapy; Raktmoshan

रक्तमोक्षण पंचकर्म एक आयुर्वेदिक थेरपी है जिसका उद्देश्य शरीर से अशुद्ध या खराब खून को एक लिमिटेड मात्रा में बाहर निकालकर खून को शुद्ध करना है। यह पंचकर्म का एक अहम हिस्सा है और इसका उपयोग ख़ासकर त्वचा रोगों में किया जाता है। इसलिए इस बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए कि “रक्तमोक्षण पंचकर्म क्या है और यह त्वचा रोगों में कैसे देता है राहत?

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रक्तमोक्षण के टाइप – Raktmoshan ke type

यह थेरपी 2 तरीकों से दी जाती है –

  • शोधन प्रकार: इसमें ज़्यादा मात्रा में खून निकाला जाता है। इसकी दो विधियाँ होती हैं – शिरा वेधन और जौंक चिकित्सा।
  • शामन प्रकार: इसमें थोड़ी मात्रा में खून निकाला जाता है और इसकी भी दो विधियाँ होती हैं – अलाबू और श्रृंग।

रक्तमोक्षण की प्रोसेस क्या है – Raktmoshan ki process kya hai?

नीचे दी गई प्रोसेस जौंक चिकित्सा के हिसाब से बताई गई है। यह बहुत ही आम तरीका है रक्तमोक्षण थेरपी का जिसमें जौंक (leech) नाम के जानवर का उपयोग किया जाता है। यह थेरपी 3 चरणों में पूरी की जाती है –

  • शुरुआती तैयारी; पूर्व कर्म: इसमें जिस जगह से खून निकालना है, वहाँ गुनगुने पानी या हल्के हर्बल पानी से सफाई की जाती है। साथ ही ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए उस जगह पर हल्की मालिश की जाती है और जौंक (Leech) को साफ पानी में धोया जाता है ताकि वह ऐक्टिव और साफ रहे।
  • खून निकालने की मुख्य प्रोसेस: इसमें चुने गए भाग पर जौंक लगाई जाती है जो स्किन को काटकर खराब खून को धीरे-धीरे चूसना शुरू करती है। यह क्रिया लगभग 20–30 मिनट तक चलती है। फिर जब वह सही मात्रा में खराब खून ले लेती है, तो अपने आप स्किन छोड़ देती है या डॉक्टर उसे हल्के नमक पानी से हटा देता है।
  • उपचार के बाद की प्रक्रिया: जौंक हटाने के बाद उस जगह हल्दी या नीम के पानी से धोया जाता है जिससे किसी तरह का इन्फेक्शन नहीं होता। साथ ही हल्का घृतकुमारि (एलोवेरा), हरिद्रा या नीम लेप लगाया जाता है ताकि घाव जल्दी भर जाए। इसके बाद रोगी को कुछ घंटों तक आराम करने और हल्का, आसानी से पचने वाला खाना खाने की सलाह दी जाती है। तीखा, नमकीन और तला-भुना खाना नहीं खाना चाहिए।

रक्तमोक्षण त्वचा रोगों में कैसे देता है राहत – Raktmoshan tvacha rogo mein kaise deta hai raahat?

त्वचा रोगों में रक्तमोक्षण नीचे दिए फायदे पहुंचाता है –

  • खून की शुद्धि: खून से ज़हरीले तत्व निकलने से शरीर के अंदर बैलेन्स बनता है, जिससे स्किन अंदर से साफ और चमकदार होती है।
  • सूजन और जलन कम करना: जौंक के लार में सूजनरोधी तत्त्व होते हैं जो स्किन की सूजन कम करते हैं।
  • खुजली और पित्त विकार से राहत: खून में बढ़ा हुआ पित्त दोष कम होता है, जिससे खुजली, जलन और लाल दाने जैसे लक्षण कम होते हैं।
  • नये टिशू बनना: पुराने खराब खून के बाहर निकलने से शरीर नया खून बनाता है, जिससे स्किन की ऊपरी परत तेजी से दोबारा बनती है।
  • नेचुरल निखार: खून की शुद्धि के बाद स्किन में ग्लो आता है, मुंहासे और डार्क स्पॉट्स घटते हैं और चेहरा दमकता है।

रक्तमोक्षण से ठीक होने वाले त्वचा रोग – Raktmoshan se theek hone wale tvacha rog

  • सोरायसिस
  • एक्जिमा
  • एलर्जिक स्किन डिजीज
  • मुंहासे
  • फोड़े-फुंसी
  • लाल चकत्ते या रैशेस
  • दाद/खुजली
  • कुष्ठ रोग के प्रारंभिक रूप
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FAQs

क्या रक्तमोक्षण दर्दनाक प्रक्रिया है – Kya raktmoshan dardnaak prakriya hai?

नहीं, यह लगभग बिना दर्द की प्रक्रिया है। जौंक की लार में हल्का सुन्न करने वाला पदार्थ होता है जो रोगी को तकलीफ नहीं देता।

रक्तमोक्षण कब करना चाहिए – Raktmoshan kab karna chahiye?

जब स्किन पर बार-बार इन्फेक्शन, फोड़े-फुंसी, खुजली या पुराना त्वचा रोग हो, तब यह थेरेपी बहुत उपयोगी होती है।

रक्तमोक्षण कितनी बार किया जाता है – Raktmoshan kitni baar kiya jaata hai?

रोग की कन्डिशन के अनुसार इसे हफ्ते में एक बार या महीने में 2-3 बार किया जा सकता है। इसका निर्णय डॉक्टर लेते हैं।

क्या रक्तमोक्षण सभी के लिए सुरक्षित है – Kya raktmoshan sabhi ke liye surakshit hai?

आम तौर पर यह सुरक्षित है, लेकिन गर्भवती महिलाएं, एनीमिक (खून की कमी वाले) या बहुत कमज़ोर लोग इसे न करवाएं।

आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया कि “रक्तमोक्षण पंचकर्म क्या है और त्वचा रोगों में कैसे देता है राहत?” लेकिन, आप सिर्फ़ इस जानकारी या सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आप या आपके कोई साथी/रिश्तेदार रक्तमोक्षण थेरेपी लेना चाहते हैं तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें। आप चाहें तो हमारे ‘कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल’ में भी पूछताछ करके वहाँ दिए जाने वाले आयुर्वेदिक पंचकर्म उपचार, भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से ले सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।

 

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