क्रिएटिनिन का लेवल बढ़ना किडनी की खराबी का सबसे पहला संकेत हो सकता है। इसलिए, क्रिएटिनिन बढ़ने के लक्षण जानना ज़रूरी है ताकि इलाज शुरू करने में आसानी हो। लेकिन, पहले क्रिएटिनिन के बारे में आम जानकारी लेनी चाहिए जो नीचे दी गयी है।
जब हमारी किडनी स्वस्थ होती है, तो वह शरीर के ज़हरीले तत्वों को पेशाब के जरिए बाहर निकालती है। इन ज़हरीले तत्वों में एक ख़ास तत्व होता है – क्रिएटिनिन। यह एक वेस्ट प्रोडक्ट है जो मांसपेशियों की एक्टिविटी से बनता है। वैसे तो यह खून से फिल्टर होकर पेशाब में बाहर निकल जाता है, लेकिन जब किडनी कमजोर होती है या सही से काम नहीं करती, तो इसका लेवल खून में बढ़ने लगता है और यह खून में जमा होने लगता है। जिससे किडनी की गंभीर बीमारी हो सकती है।
यदि किसी व्यक्ति की रिपोर्ट में क्रिएटिनिन का लेवल लगातार बढ़ता रहे, तो यह किडनी रोग या किडनी फेल होने का संकेत हो सकता है।
शुरुआती चरणों में क्रिएटिनिन बढ़ने के लक्षण बहुत हल्के हो सकते हैं या न के बराबर महसूस होते हैं। लेकिन जैसे-जैसे यह लेवल बढ़ता है, शरीर कई संकेत देने लगता है; जिनमें ख़ास हैं -
क्रिएटिनिन बढ़ने पर शरीर में टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं जिससे मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होती है। व्यक्ति अक्सर बिना कोई भारी काम किए भी थका हुआ महसूस करता है।
किडनी ठीक से टॉक्सिन्स और एक्स्ट्रा पानी नहीं निकाल पाती, जिससे शरीर में पानी जमा होने लगता है और सूजन हो जाती है, खासकर पैरों, टखनों और आंखों के नीचे।
ब्लड में टॉक्सिन्स का लेवल बढ़ने से लंग्स पर असर पड़ सकता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत और थकान महसूस होती है।
किडनी जब ज़हरीले तत्वों को बाहर नहीं निकाल पाती, तो व्यक्ति को खाना अच्छा नहीं लगता, जी मिचलाता है और उल्टी जैसी स्थिति बनती है।
ब्लड में ज़हरीले तत्त्व के बढ़ने से स्किन पर खुजली होती है, खासकर रात के समय या बिना किसी एलर्जी के।
किडनी ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने वाले हार्मोन को बैलेंस करती है। जब यह ठीक से काम नहीं करती, तो ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है।
ब्लड में क्रिएटिनिन और इलेक्ट्रोलाइट का बैलेंस बिगड़ने से दिल पर असर पड़ता है। इससे व्यक्ति को चक्कर या धड़कन तेज होने की समस्या हो सकती है।
किडनी की कमजोरी का असर दिमाग पर भी पड़ सकता है जिससे व्यक्ति को चिड़चिड़ापन, फोकस में कमी और नींद न आने जैसी शिकायतें हो सकती हैं।
ये लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए। लक्षणों के साथ-साथ क्रिएटिनिन बढ़ने के कारण भी जान लेने चाहिए जिससे इसे रोका जा सके।
क्रिएटिनिन बढ़ने के लक्षण और कारण के अलावा कुछ ज़रूरी सवाल और जानकारियाँ नीचे दी गयी हैं जो रोगी को फायदा पहुंचा सकती हैं।
नहीं, सिर्फ क्रिएटिनिन बढ़ना किडनी खराब होने का अंतिम सबूत नहीं है। कभी-कभी डिहाइड्रेशन, मांसपेशियों में खिंचाव या कुछ दवाओं के सेवन से भी यह बढ़ सकता है। इसलिए डॉक्टरी जांच जरूरी है।
कुछ आयुर्वेदिक औषधियां जैसे गुड़मार, वरुण, गोखरू आदि से किडनी की कार्यक्षमता को सपोर्ट मिल सकता है, लेकिन इन्हें केवल आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए।
हां। कम सोडियम, नियंत्रित प्रोटीन, कम पोटैशियम वाले आहार लेने से किडनी पर दबाव कम होता है और क्रिएटिनिन कंट्रोल में रह सकता है।
आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको क्रिएटिनिन बढ़ने के लक्षण बताए। लेकिन आप सिर्फ़ ईन सुझावों पर निर्भर ना रहें। अगर आपको या आपके किसी साथी/रिश्तेदार को क्रिएटिनिन बढ़ने की समस्या है तो तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं। हेल्थ से जुड़े ऐसे ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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